सहारनपुर में दूसरे की जमीन के फर्जी डॉक्यूमेंट्स बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ पुलिस ने किया है। पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों को अरेस्ट किया है। आरोपी दूसरे राज्यों में रहने वाले लोगों की जमीनों को टारगेट करते थे और उनके फर्जी आधार-पैन कार्ड बनवाते थे। फर्जी हस्ताक्षर कर दूसरे को बैनामा करा देते थे। पुलिस ने एक दस्तावेज लेखक को भी अरेस्ट किया है। मामला थाना बिहारीगढ़ क्षेत्र का है। पुलिस लाइन सभागार में एसपी देहात सागर ने बताया कि थाना बिहारीगढ़ पुलिस ने एक ऐसे कुख्यात गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो बाहर रहने वाले लोगों की जमीनें निशाने पर रखता था, फर्जी आधार-पैन से लेकर फर्जी हस्ताक्षर तक तैयार करता था और फिर असली मालिक बनकर तहसील में बैनामा करा देता था। इस पूरे खेल में तहसील स्तर पर दस्तावेज़ लेखक तक मिले हुए पाए गए हैं, जिससे सरकारी तंत्र की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। पुलिस के अनुसार, 24 जुलाई 2025 को मुंबई निवासी रोहित दर्शन भल्ला ने तहरीर देकर पुलिस को बताया कि उनके मामा सुभाष चंद्र बसन्धरा की जमीन को फर्जी तरीके से बेची गई है। आरोपियों ने फर्जी हस्ताक्षर, अंगूठा, फोटो, आधार और पैन कार्ड बनवाकर जमीन को बेच दिया। तहरीर के आधार पर थाना बिहारीगढ़ पर मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच में सामने आया कि तहसील बेहट में किसी फर्जी व्यक्ति को सुभाष चंद्र बनाकर खड़ा किया गया और उसी की पहचान पर जमीन का बैनामा करा दिया गया। पुलिस को इसमें और भी लोग शामिल है। पुलिस ने चार आरोपियों मांगेराम, मोहित उर्फ मोनू, इसरार और जुल्फकार त्यागी उर्फ गुड्डू त्यागी को अरेस्ट किया है। आरोपियों के पास से लग्जरी कारें बरामद हुई है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे सभी मिलकर ऐसे लोगों की जमीनें तलाशते थे जो बाहर शहरों में रहते हैं। फिर उसके नाम से फर्जी आधार, पैन और अन्य दस्तावेज तैयार कराकर किसी एक साथी को जमीन का मालिक बनाकर तहसील में खड़ा कर दिया जाता था। तहसील के भीतर से मिलीभगत के बिना ऐसा खेल संभव नहीं, इसलिए कई नए नाम जांच के दायरे में आ गए हैं। फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में दस्तावेज लेखक संगम सैनी की भूमिका सामने आई है। पुलिस ने उसे भी अरेस्ट किया है।
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