कोहरे और कम विजिबिलिटी के बीच सड़कों पर गड्ढे हड्डियों के मरीज बढ़ाने में बड़ी वजह बन रहे हैं। गड्ढों से गुजरते समय लगने वाला तेज झटका और बढ़ते रोड एक्सीडेंट्स की वजह से एसएन मेडिकल कॉलेज में हड्डी रोग और फिजियोथैरेपी विभाग में मरीजों की संख्या में 20 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एसएन मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. मयूर गुप्ता ने बताया कि कोहरे के कारण सड़क हादसों में इजाफा हुआ है, जिससे फ्रैक्चर के केस बढ़े हैं। इसके साथ ही सड़कों पर मौजूद गड्ढों से वाहन गुजरते समय जो तेज झटका लगता है, उससे नेक पेन, बैक पेन और जॉइंट्स पेन के मरीज भी तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गड्ढों से निकलते समय वाहन की रफ्तार धीमी रखें, ताकि झटके से बचा जा सके। जिन लोगों को पहले से दर्द की समस्या है, वे सपोर्ट बेल्ट का इस्तेमाल करें, जिससे झटके का असर कम हो। डॉ. मयूर के अनुसार सर्दियों में पुराने जोड़ों के दर्द दोबारा उभरने लगते हैं। इससे बचाव के लिए डाइट में कैल्शियम और विटामिन -डी की मात्रा बढ़ाने की सलाह दी गई है। उन्होंने दूध और दही को नियमित आहार में शामिल करने पर जोर दिया। वहीं, एसएन मेडिकल कॉलेज के फिजियोथैरेपी विभाग में भी मरीजों की संख्या 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ी है। फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. अतुल कुमार शर्मा ने बताया कि मौसम में बदलाव और अधिक ठंड की वजह से मांसपेशियों में अचानक तनाव आ जाता है, जिसे मेडिकल भाषा में स्पाज्म कहा जाता है। इसके अलावा जोड़ों के दर्द के मरीज भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। डॉ. अतुल ने बताया कि एक्सीडेंट के बाद फ्रैक्चर या सर्जरी के पश्चात आने वाली जटिलताओं में फिजियोथैरेपी की अहम भूमिका होती है। एक्सरसाइज और थैरेपी के जरिए जॉइंट्स की रिकवरी और पोस्ट-ट्रॉमेटिक मरीजों को सामान्य जीवन में लौटने में काफी मदद मिलती है।
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