जौनपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अवैध घुसपैठियों को चिन्हित करने के आदेश पर मछलीशहर की सपा विधायक डॉ. रागिनी सोनकर ने प्रक्रिया में निष्पक्षता की मांग की है। उन्होंने कहा कि कई लोगों के पास आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं और उन्हें अधिकारियों से मदद नहीं मिल रही है। विधायक डॉ. सोनकर ने बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के अप्रशिक्षित होने से उत्पन्न समस्याओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सर्वे ऑफ इनफिल्ट्रेशन एंड रेजिडेंट्स (एसआईआर) की प्रक्रिया को व्यावहारिक समझ के बिना, सीमित समय में जल्दबाजी में लागू किया गया है, जिससे जनता में चिंता और परेशानी है। डॉ. सोनकर ने जनता के बीच आवश्यक प्रमाण पत्रों की जानकारी ठीक से पहुंचाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि 2003 में मतदान करने वाले कई लोगों के नाम आज भी मतदाता सूची में नहीं हैं, जबकि उनके पास वोटर कार्ड और अन्य प्रमाण मौजूद हैं। इसी प्रकार, 2024 में वोट देने वालों का डेटा 2025 में उपलब्ध नहीं है। विधायक ने उन महिलाओं की समस्याओं पर भी ध्यान दिलाया जो विवाह के बाद दूसरे जनपदों या प्रदेशों से आई हैं। उनके डेटा को एकत्र करने में कठिनाई आ रही है। उन्होंने सरकार से ऐसी महिलाओं की विशेष सहायता करने का आग्रह किया। डॉ. सोनकर के अनुसार, एसआईआर में कितनी महिलाओं के नाम काटे गए और कितने जोड़े गए, यह सरकार की महिला हितैषी नीतियों को दर्शाएगा। अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों के संदर्भ में, डॉ. सोनकर ने कहा कि सबसे पहले भारतीय नागरिकों को पुख्ता प्रमाण देने की आवश्यकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार स्वयं आधार को कभी वैध नहीं मानती, तो उन गरीब लोगों का क्या होगा जिनके पास आधार के अतिरिक्त कोई अन्य प्रमाण नहीं है? उन्होंने आशंका व्यक्त की कि कहीं उन्हें भी घुसपैठिया कहकर बाहर न कर दिया जाए। उन्होंने सरकार से एक ऐसा पहचान पत्र सुनिश्चित करने की मांग की, जिसके आधार पर यह स्पष्ट हो सके कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन घुसपैठिया नहीं है। विधायक ने कहा कि सरकार आधार की वैधता तय नहीं कर पाई है, जबकि बड़े-बड़े कार्य आधार नंबर से होते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार को खुद पर भरोसा नहीं है।
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