सम्भल में AIMIM के जिलाध्यक्ष असद अब्दुल्ला ने गुरुवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कई धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है, इसलिए किसी भी धार्मिक मान्यता को थोपना उचित नहीं है। वंदे मातरम् पर मौलाना महमूद मदनी के बयान पर पूछे गए सवाल पर असद अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 25 का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यह हर नागरिक को अपने धर्म का पालन और प्रचार करने का अधिकार देता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वंदे मातरम् को भूमि-पूजा से जोड़ा जाता है, जबकि इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी की इबादत स्वीकार्य नहीं है। इसी कारण मुसलमान इसे नहीं गा सकते। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस मुद्दे को बेवजह विवाद का रूप देकर समाज में वैमनस्य फैलाने का प्रयास किया जाता है। समाज में वैमनस्य फैलाने का प्रयास किया जा रहा बिहार में AIMIM विधायकों की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात पर उन्होंने कहा कि इसे किसी राजनीतिक समीकरण या पार्टी में टूट से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उनके अनुसार, नीतीश कुमार पूरे बिहार के मुख्यमंत्री हैं और AIMIM विधायक केवल विकास से जुड़े मुद्दों, जैसे सड़क, बिजली, पेयजल और स्वास्थ्य सेवाओं पर चर्चा करने गए थे। उन्होंने जोर दिया कि जनता के हित के लिए सरकार से मिलना किसी भी जनप्रतिनिधि का अधिकार और कर्तव्य है। अख्तरुल इमान द्वारा नीतीश कुमार को ‘गुरु’ कहे जाने पर असद अब्दुल्ला ने इसे उनका व्यक्तिगत बयान बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी की ओर से ऐसी कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है। उन्होंने फिर दोहराया कि विधायक केवल विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से मिले थे, न कि किसी राजनीतिक गठबंधन के लिए। बाबरी मस्जिद मुद्दे पर उन्होंने कहा कि देश में मस्जिदों की कमी नहीं है और पहले खाली पड़ी मस्जिदों को भरने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने टिप्पणी की कि जो लोग इस मुद्दे पर ईंटें लेकर गए थे, वे स्वयं नियमित नमाज़ भी अदा नहीं करते। उनके मुताबिक, ऐसे मुद्दे समाज को भटकाते हैं और इनसे दूरी बनाए रखना आवश्यक है।
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