आगरा में संरक्षित स्मारक के पास ही निर्माण का मामला सामने आया है। सिकंदरा स्थित मरियर टॉम्ब के पास एक कॉलोनी में संरक्षित स्मारक की बाउंड्री से बिल्कुल लगी हुई कॉलोनी में एक घर बन रहा है। यही नहीं, इसी कॉलोनी में आधा दर्जन से ज्यादा घर बन रहे हैं। प्राचीन स्मारक व पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित स्मारकों के 100 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का निर्माण प्रतिबंधित है। जबकि इस दायरे से बाहर 200 मीटर के दायरे में अनुमति प्राप्त कर निर्माण कर लिया जाता है। ताजनगरी मे विश्वदाय स्मारकों के साथ ही अन्य स्मारकों के समीप तेजी से अवैध निर्माण बढ़े है। करीब दो हजार अवैध निर्माणों के मामले मे विभाग तहरीर दे चुका है, इन पर कार्रवाई नहीं हो सकी है। यह मामला मरियम टॉम्ब के पास निर्माण का है। मरियन टॉम्ब की बाउंड्री से लगी हुई एक कॉलोनी डवलप हुई है। इस कॉलोनी कई साल पुरानी है। इसे लेकर भी एएसआई द्वारा कई शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से बाउंड्री के बिल्कुल बगल में ही घर बन रहा है। इसके साथ ही बाउंड्री से 50 मीटर की दूरी पर चार से पांच घर बन रहे हैं। बाउंड्री के पास खड़े होकर मिट्टी, सीमेंट, ईंटों के ढेर के साथ ही मजदूर काम करते दिखते हैं। बताया जा रहा है कि संबंधित थाने और एएसआई में इस निर्माण को लेकर 20 से ज्यादा शिकायतें पहुंच चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई भी एक्शन नहीं लिया गया है। यह है मरियर टॉम्ब का इतिहास
सिकंदर लोदी ने सिकंदरा और उसके आसपास शहर बसाया था। सन् 1495 में सिकंदर लोदी ने आगरा-मथुरा हाईवे पर सिकंदरा से आगे बारादरी बनवाई थी। जो अब मरियम टॉम्ब के नाम से प्रसिद्ध है। यह अकबर टॉम्ब से 400 मीटर की दूरी पर है। आमेर के राजा भारमल की बेटी मरियम-उज-जमानी की शादी सन् 1562 में अकबर के साथ हुई थी। अकबर और मरियम-उज-जमानी की संतान सलीम उर्फ जहांगीर था। मुगलों ने सिकंदरा और बारादरी का संरक्षण किया। जहांगीर ने सन् 1623 में मां मरियम-उज-जमानी के निधन के बाद यही दफनाया था।
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