संभल के ऐंचौड़ा कम्बोह स्थित श्रीकल्कि धाम में चल रही सात दिवसीय श्रीकल्कि कथा के दौरान कल्कि अवतार की तिथि और स्थान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य की शास्त्रीय उद्घोषणा के बाद शुरू हुआ। संभल कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला कोट पूर्वी में एक प्राचीन श्रीकल्कि विष्णु मंदिर भी स्थित है। श्रीकल्कि (निष्कलंक दल) के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप गुप्ता ने इस संबंध में अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य कई वर्ष पहले स्वयं उनके कल्कि मंदिर आए थे। उस समय उन्होंने भगवान की मूर्ति को स्पर्श कर दर्शन किए थे और काफी भावुक हुए थे। कुलदीप गुप्ता ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य के साथ अपनी पुरानी बातचीत का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने रामभद्राचार्य से कल्कि भगवान के महामंत्र के बारे में पूछा था, तो उन्होंने बताया था कि “जय कल्कि जय जगतपते, पद्मावती जय रमापते” कीर्तन का महामंत्र है, जबकि उन्होंने स्वयं एक बीज मंत्र बताया था। गुप्ता ने आगे कहा कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य को कोई आसानी से भ्रमित नहीं कर सकता, लेकिन मौजूदा माहौल में, जहां भगवा वस्त्रधारी अवधेशानंद गिरि जैसे संत, अन्य सेलिब्रिटी साधु-संत और राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भ्रमित हो सकते हैं। ऐसे में उन्होंने आशंका जताई कि कलयुग में रामभद्राचार्य को भी भ्रमित किया गया होगा। कुलदीप गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भाषण का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में आचार्य प्रमोद कृष्णम् द्वारा दी गई जानकारी का हवाला दिया था और अपनी ओर से कोई बात नहीं कही थी। गुप्ता ने चेतावनी दी कि यदि संभल के निवासियों और कल्कि भक्तों के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ की जाती है, तो वे इस मामले को प्रधानमंत्री तक ले जाएंगे। उन्होंने ऐंचौड़ा कम्बोह में प्रधानमंत्री द्वारा किए गए तथाकथित कल्कि धाम के शिलान्यास पर भी सवाल उठाए। गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इसकी तुलना राम मंदिर से की, जबकि आचार्य प्रमोद कृष्णम् लोगों की भावनाओं का कथित तौर पर दोहन कर रहे हैं। कुलदीप गुप्ता ने आचार्य प्रमोद कृष्णम् से कल्कि धाम के लिए एकत्र किए गए धन की राशि और उसके स्रोतों का खुलासा करने की मांग की। गुप्ता ने जोर देकर कहा कि कोई भी जगद्गुरु या अन्य गुरु सत्य सनातन धर्म, पुराणों, शास्त्रों और वेदों में वर्णित सिद्धांतों को बदल नहीं सकता। उन्होंने कहा कि सत्य को न तो छुपाया जा सकता है और न ही दबाया जा सकता है, क्योंकि “सत्यमेव जयते” और अंततः सत्य की ही विजय होती है।
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