संभल में एक दूध कारोबारी से लूट के मामले में फर्जी मुठभेड़ में गिरफ्तार किए गए ओमवीर को तीन साल बाद जेल से रिहा कर दिया गया है। रिहाई के बाद ओमवीर ने सीओ और इंस्पेक्टर सहित 13 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दायर किया। यह मामला अब हाईकोर्ट में विचाराधीन है, जहां से पूरे केस पर स्थगन आदेश (स्टे) जारी किया गया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) संभल ने तीन दिन के भीतर सीओ को मुकदमे से अलग करते हुए इंस्पेक्टर, क्राइम इंस्पेक्टर, दो एसएसआई और चार दरोगा सहित 12 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। उक्त पूरा मामला संभल जनपद की चंदौसी तहसील के बहजोई कोतवाली क्षेत्र से जुड़ा है। 25 अप्रैल 2022 को बहजोई थाना क्षेत्र के अर्जुनपुर जूना गांव निवासी दुर्वेश पुत्र वीरपाल के साथ 1,00,000 रुपए की लूट हुई थी, रिपोर्ट दर्ज की गई और 7 जुलाई 2022 को थाना पुलिस ने एक मुठभेड़ में ओमवीर पुत्र भगवानदास, धीरेंद्र पुत्र कुंवरपाल और अवनेश पुत्र ऋषिपाल को गिरफ्तार किया था। ओमवीर के अधिवक्ता शुकांत कुमार ने बताया कि लूट की घटना के समय ओमवीर बदायूं जेल में किसी अन्य मुकदमे में बंद थे। मई में जेल से रिहा होने के बाद उन पर यह लूट का मुकदमा लगा दिया। चोरी की 19 मोटरसाइकिलें बरामद होने का एक ओर फर्जी मुकदमा भी दर्ज कर जेल भेज दिया गया था। ओमवीर इस मामले में तीन साल तक जेल में रहे। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अधिवक्ता को पूरी घटना बताई। CJM ने सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ तीन दिन में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में घटना पर स्थगन आदेश जारी किया है। ओमवीर ने बताया कि उनके ऊपर झूठा मुकदमा लगाया गया है, जबकि घटना के समय वह जेल में बंद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें बदायूं के थाना इस्लामनगर क्षेत्र के मौसमपुर गांव से उठाया गया था। उन पर चोरी की 19 मोटरसाइकिलें बरामद होने का आरोप लगाया गया। उन्होंने कहा, “मैं इस मुकदमे में तीन साल जेल में रहने के बाद बाहर आया हूं। इन पुलिसकर्मियों ने मेरा भविष्य खराब कर दिया है, मैं न्याय चाहता हूं। ओमवीर ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट में वाद करते हुए तत्कालीन सीओ गोपाल सिंह, तत्कालीन एचएसओ पंकज लवानिया, तत्कालीन निरीक्षक अपराध राहुल चौहान, वरिष्ठ उपनिरीक्षक नरेश कुमार, तत्कालीन उपनिरीक्षक प्रबोध कुमार, तत्कालीन उपनिरीक्षक नीरज कुमार, मातोदकर तत्कालीन उपनिरीक्षक जमील अहमद, तत्कालीन आरक्षी 390 वरूण, तत्कालीन आरक्षी 587 मालती चौहान, तत्कालीन आरक्षी 334 आयुष, तत्कालीन आरक्षी 08 राजपाल, तत्कालीन आरक्षी 821 दीपक कुमार व तत्कालीन मुख्य आरक्षी रूपचन्द्र पर आरोप लगाया गया है। ओमवीर पुत्र भगवानदास 11 अप्रैल 2022 से 12 मई 2022 तक बदायूं की जिला कारागार में बंद था, 26 अप्रैल 2022 को जमानत मंजूर हुई, 12 मई 2022 को बदायूं की जिला कारागार से ओमवीर जमानत पर बाहर आया था। 07 जुलाई 2022 को दूध कारोबारी के साथ हुई लूट की घटना की फर्जी मुठभेड़ दिखाते हुए मेरे अलावा धीरेंद्र पुत्र कुंवरपाल, अवनेश पुत्र ऋषिपाल 19 मोटरसाइकिल बरामद दिखाते हुए चालान कर जेल भेज दिया। ओमवीर ने वाद दायर करते हुए बताया कि वह दूध कारोबारी के साथ हुई घटना वाले दिन बदायूं की जिला कारागार में बंद था। ऐसी स्थिति में वह लूट की घटना को कैसे कर सकता है, संभल पुलिस ने अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए उसे झूठा फसाया है।सीओ गोपाल सिंह का ट्रांसफर जनपद संभल से 18 जून 2022 को हो गया था, पुलिस के द्वारा मुठभेड़ में तीनों आरोपियों को पकड़ने की घटना 7 जुलाई 2022 की है। सीओ वर्तमान में आगरा की पीएसी लाइन में तैनात हैं।
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