प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर इस साल भी साइबेरियन पक्षियों का बड़ा दल पहुंच गया है। जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ये पक्षी सर्दियों में साइबेरिया के बेहद ठंडे माहौल से पलायन करते हुए नवंबर से मार्च तक संगम के टापुओं पर रहते हैं। ठंड में 5000 किमी का सफर तय करने के बाद ये पक्षी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आकर ठहरते हैं। जहां उन्हें भोजन और अनुकूल मौसम मिलता है। इनकी उपस्थिति संगम की प्राकृतिक सुंदरता को और निखारती है और पर्यटकों की संख्या में इजाफा होता है। लोग नाव से आकर पक्षियों को दाना खिलाते हैं और उनकी चहचहाहट का आनंद लेते हैं। 3 तस्वीरें देखिए… संगम पर मुख्य रूप से साइबेरियन सीगल, बार-हेडेड और दुर्लभ पेरेग्रीन फाल्कन जैसी प्रजातियां देखी जाती हैं। इनके आकर्षक रंग और उड़ान के दृश्य पर्यटकों और भक्तों को खूब पसंद आता है। एक स्थानीय नाविकों के अनुसार पक्षियों के आने से नाविकों को भी अच्छी आमदनी होती है क्योंकि पर्यटक इनके मनोरंजन के लिए नाव की सवारी करते हैं। यह पक्षी लगभग पांच से छह महीने तक संगम क्षेत्र में रहते हैं, जिससे यह स्थल सर्दियों में जीवंत और जीवमय हो जाता है। साइबेरियन पक्षियों के आगमन से संगम का नजारा इतना मनोहर हो जाता है कि लोग यहां से ये दृश्य अपने कैमरे में कैद करते हैं। पर्यावरण प्रेमी और प्रकृति के शौकीन इस अद्भुत नजारे को देखने प्रयागराज आते हैं। साइबेरियन पक्षियों का यह प्रवास पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता के संदेश को भी फैलाता है। इस वजह से माघ मेले जैसे बड़े त्योहार के समय संगम तट और भी रौनक से भर उठता है, जहां पवित्रता और प्रकृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है
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