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श्रद्धांजलि नाटक समारोह में दिखा रंगमंच का जज्बा:मां बेटी के रिश्तों पर आधारित नाटक प्रस्तुति से हुई शुरुआत, रंग कर्मियों का किया सम्मान

आगरा के सुरसदन में श्रद्धांजलि नाट्य समारोह के पहले दिन शहर का सूरसदन रंगमंच भावनाओं से भर उठा। दो नाटकों ने दर्शकों को जहाँ संवेदना की गहराई में ले जाकर भावुक किया, वहीं लोककथा की चुटीली शैली ने हॉल में ठहाके भी गूँजाए। लंबे अंतराल के बाद हुए 23वें समारोह ने आगरा के रंगमंच प्रेमियों को एक बार फिर सघन नाट्य अनुभव दिया। पहली प्रस्तुति रही अनुकृति रंगमंडल, कानपुर की ‘कोई एक रात’। अशोक सिंह के लिखे और डॉ. ओमेन्द्र कुमार द्वारा निर्देशित इस नाटक ने माँ–बेटी के रिश्तों में दबी चुप्पियों, पीढ़ियों के टकराव और नारी संवेदना को बेहद मार्मिकता से मंच पर उतारा। बेटी का बरसों का दर्द और सवाल जब माँ की सफाई और संघर्षों से भिड़ते हैं तो एक रात रिश्तों की पूरी उम्र को सामने ला खड़ा करती है। संध्या सिंह (माँ) और दीपिका सिंह (बेटी) की संजीदा अदाकारी ने दर्शकों को भीतर तक छू लिया। संगीत (विजय भास्कर), प्रकाश (कृष्णा सक्सेना) और मंच सज्जा (आकाश शर्मा, विजय कुमार) ने पूरे नाटक को और असरदार बना दिया। दूसरी प्रस्तुति ‘चरनदास चोर’ उत्तर प्रदेश कला मंच, आगरा ने दी। विजयदान देथा की प्रसिद्ध लोककथा और हबीब तनवीर के अमर रूपांतरण वाले इस नाटक में निर्देशक तलत उमरी ने हास्य, विडंबना और लोकधुनों को संतुलित करते हुए मजबूत मंचन दिया। सच बोलने वाले चोर चरनदास की भूमिका में प्रशांत उपाध्याय ने अपनी टाइमिंग और देहभाषा से दर्शकों को खूब हँसाया। सोने की थाली, हाथी की सवारी, रानी से विवाह और सिंहासन ठुकराने जैसे वचनों की कहानी समाज के विरोधाभासों को व्यंग्य के साथ सामने लाती है। सभी कलाकारों—अजय, नेहा, वंशिका, साध्वी, लक्की, अतुल, मोनित, हरिओम, हर्षिता, तुषार, पायल—ने अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया। संगीत (आकाश), प्रकाश (राहुल, अभिषेक) और पार्श्व मंच (मोहित, दिव्या) ने प्रस्तुति को गति दी। समारोह की परंपरा के अनुसार वरिष्ठ रंगकर्मी और आगरा के लोकनाट्य ‘भगत’ पुनरुत्थान के प्रणेता श्री अनिल शुक्ल को ‘रंग पुरोधा सम्मान’ प्रदान किया गया। समिति अध्यक्ष उमेश अमल, उपाध्यक्ष पंकज सक्सेना, राजीव सिंघल, कोषाध्यक्ष संदीप अरोड़ा, अंकेक्षक अजय दुबे, उपसचिव संजय चतुर्वेदी सहित अन्य सदस्यों ने शॉल, सम्मान पत्र और स्मृति चिह्न भेंटकर उनका अभिनंदन किया। प्रवेश द्वार पर दीपक जैन द्वारा सजाई गई दिवंगत रंगकर्मियों की नामावलि उपस्थित लोगों के लिए विशेष आकर्षण रही। संचालन विश्वनिधि मिश्र और नीरज अग्रवाल ने किया। कल दूसरे दिन ड्रामाटर्जी आर्ट्स कल्चर सोसायटी, नई दिल्ली साक्षी सुनील के निर्देशन में किन्नरों के जीवन पर आधारित नाटक ‘जानेमन’ का मंचन करेगी। साथ ही किसी युवा आगरा रंगकर्मी को ‘रंग-प्रहरी सम्मान’ से सम्मानित किया जाएगा


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