फर्रुखाबाद जनपद के कमालगंज थाना क्षेत्र में हजरत शेख मखदूम बुर्राकशाह लंगरजहां अलैह का 701वां उर्स और मेला शुरू हो गया है। इस अवसर पर बुधवार की शाम से शुरु हुआ यह देर रात तक चलता रहा।भोजपुर से शेखपुर स्थित दरगाह-ए-मखदूमियां तक चार किलोमीटर लंबी डोला यात्रा निकाली गई, जिसमें ‘ले चल पीर’ की सदाएं गूंज उठीं। बुधवार की शाम को भोजपुर से डोला उठाया गया। सैकड़ों छड़ीबाज नंगे पैर डोले के आगे-पीछे दौड़ते हुए रेलवे क्रॉसिंग पार कर दरगाह-ए-मखदूमियां पहुंचे। उर्स की शुरुआत बुधवार सुबह गुसलपाक से हुई, जिसके बाद फातिहाख्वानी, चादरपोशी और गुलपोशी की रस्में अदा की गईं। 700 साल पुराने लिबास ‘खिरका शरीफ’ को भोजपुर स्थित चिल्लागाह पहुंचाया गया। सज्जादानशीन हजरत शेख अजीजुल हक गालिब मियां को यह खिरका शरीफ पहनाया गया, जिसके बाद वे बेहोशी की हालत में डोले में सवार हुए। दरगाह पहुंचने पर मजार शरीफ की परिक्रमा कराई गई और खिरका शरीफ उतारा गया। इसके बाद दफ बजाकर हाजी बख्तियार काकी की रुबाई पढ़ी गई। रुबाई सुनकर सज्जादानशीन चेतन अवस्था में आए और उन्होंने देश में शांति, प्रेम तथा खुशहाली की दुआ की। नमाज के बाद कुलशरीफ की रस्म अदा की गई। इस दौरान शायर लतीफ कमालगंजवी ने फारसी व अरबी की रुबाई पढ़ी। सज्जादानशीन के चेतन अवस्था में आने पर असर की नमाज हुई और उर्स का दूसरा कुलशरीफ संपन्न हुआ। मजार शरीफ पर चादरपोशी की रस्म जारी रही और दुआएं मांगी गईं।
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