लखनऊ हाईकोर्ट की बेंच ने अंतरराष्ट्रीय शूटर वर्तिका सिंह के खिलाफ दर्ज क्रिमिनल एक्शन को खत्म कर दिया है। यह मामला एक तत्कालीन केंद्रीय कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी के नाम पर कथित फर्जी पत्र तैयार करने से संबंधित था। न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने वर्तिका सिंह की याचिका पर यह निर्णय सुनाया। न्यायालय ने कहा कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध किसी भी सामग्री से वर्तिका सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला नहीं बनता। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि वर्तिका सिंह को भेजे गए कथित फर्जी दस्तावेजों को उन्होंने जांच के लिए संबंधित अधिकारियों को सौंप दिया था, लेकिन यह पता लगाने के लिए कोई जांच नहीं की गई कि वे दस्तावेज किसने तैयार किए थे। अदालत ने यह भी पाया कि इसी प्रकरण में सह-आरोपी कमल किशोर कमांडो को विवेचक ने क्लीन चिट देते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य बनाने का झांसा दिया था पूरा मामला अप्रैल 2020 का जुड़ा है। उस समय रजनीश सिंह नामक व्यक्ति ने खुद को एक प्रभावशाली नेता बताते हुए, तत्कालीन कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी के सचिव का करीबी होने का दावा किया था। उसने वर्तिका सिंह को राष्ट्रीय महिला आयोग, नई दिल्ली का सदस्य बनाए जाने का झांसा दिया था। इसी दौरान यह पूरा घटनाक्रम सामने आया। वर्तिका सिंह के खिलाफ वर्ष 2020 में थाना मुसाफिरखाना, जनपद अमेठी में आईपीसी की धारा 419, 420, 468, 471, 120-बी, 509, 34 तथा आईटी एक्ट की धारा 66 और 67सी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। विवेचना के बाद उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई और मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लेते हुए समन जारी किया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए वर्तिका सिंह की ओर से न्यायालय को बताया गया कि वह एक अंतरराष्ट्रीय शूटर हैं और सामाजिक कार्यों से जुड़ी हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्हें झूठा फंसाया गया है। यह भी कहा गया कि राष्ट्रीय महिला आयोग में नियुक्ति के नाम पर 25 लाख रुपए की मांग पूरी न होने पर उन्हें इस मामले में फंसाया गया था।
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