बिजनौर की अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व वान्या सिंह ने बताया कि शासन ने शीत लहर से बचाव के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने सभी संबंधित विभागों और नागरिकों को इन निर्देशों का पालन करने को कहा है। एडीएम ने गन्ना और भूसा ढोने वाले वाहनों जैसे ट्रॉली, ट्रक और बैलगाड़ी चालकों को क्षमता से अधिक भार न लादने की हिदायत दी। उन्होंने सर्दियों में फॉग लाइट के इस्तेमाल पर जोर दिया और कहा कि भार ढोने वाले वाहन चालक पीछे से आ रही एम्बुलेंस को रास्ता दें। दोपहिया वाहन चालकों को शीतलहर में बहुत आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलने की सलाह दी गई है। बाहर निकलते समय उन्हें गर्म कपड़े, दस्ताने, चश्मा और हेलमेट पहनने के निर्देश दिए गए। इसके अतिरिक्त, कोयले की अंगीठी, मिट्टी के तेल का चूल्हा या हीटर का उपयोग करते समय कमरे में उचित वायु-संचार बनाए रखने की सावधानी बरतने को कहा गया। ठंड लगने के लक्षणों जैसे हाथ-पांव सुन्न होना, उंगलियों में सफेद या नीले दाग उभरने पर तुरंत नजदीकी अस्पताल से संपर्क करने को कहा गया है। हाइपोथर्मिया (शरीर के असामान्य तापमान) के लक्षण जैसे याददाश्त कमजोर पड़ना, अत्यधिक ठिठुरना, सुस्ती, थकान, तुतलाना और कार्य में भटकाव महसूस होने पर भी तत्काल डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी गई है। पशुओं के लिए जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में थनैला, मिल्क फीवर और नेमोटाइटिस जैसे रोगों का खतरा रहता है। इसलिए पशुओं को समय-समय पर चिकित्सक को दिखाते रहना चाहिए। पशुओं को रात में खुले पेड़ के नीचे या घर से बाहर न रखने की सलाह दी गई। ठंड के समय में पशुओं को गुड़ और कैल्शियम टॉनिक पिलाने को कहा गया। साथ ही, उन्हें जूट की बोरी या घर में पड़ा पुराना कंबल ओढ़ाने का सुझाव दिया गया। गर्भवती पशुओं को ठंड लगने की अधिक संभावना होती है, इसलिए उनके पास अलाव जलाकर रखने की सलाह दी गई, लेकिन यह भी ध्यान रखने को कहा गया कि अलाव पशुओं से कुछ दूरी पर ही जलाया जाए ताकि उन्हें कोई नुकसान न पहुंचे। उन्होंने यह भी बताया कि शीत लहर और पाला फसलों को काला रतुआ, सफेद रतुआ, पछेती झुलसा जैसी बीमारियों से नुकसान पहुंचाता है। शीत लहर अंकुरण और विकास को भी प्रभावित करती है।
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