कुशीनगर जिले के रामकोला विकास खंड के परवरपार ग्राम सभा में स्थित प्राचीन शिव मंदिर पर सांसद निधि से सीढ़ी निर्माण का कार्य विवादों में घिर गया है। ग्रामीणों ने लगभग छह लाख रुपये की लागत से आरईएस विभाग द्वारा कराए जा रहे इस कार्य में घटिया सामग्री के प्रयोग का आरोप लगाया है। ग्रामीणों, जिनमें सुबाष, जयकिशोर, राजकुमार, शिवानंद और महेंद्र शामिल हैं, ने बताया कि ठेकेदार निर्माण नियमों की अनदेखी कर रहा है। उनके अनुसार, सीढ़ी की ढाल (स्लोप) में मिट्टी की जगह केवल बालू का उपयोग किया गया है और उसकी ठीक से कुटाई भी नहीं की गई है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि जहां ईंट की गिट्टी डालकर कुटाई होनी थी, वहां खड़ी सेम ईंटों का प्रयोग किया गया है। लाल बालू के स्थान पर सफेद बालू का उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों ने आरसीसी में सीमेंट की मात्रा कम रखने का भी आरोप लगाया है, जिससे कई हिस्सों में केवल बालू दिख रही है और गिट्टियां बाहर निकल रही हैं। निर्माण में इस्तेमाल की जा रही सरिया और ईंटें भी निम्न गुणवत्ता की बताई जा रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब वे सही निर्माण की मांग करते हुए काम रोकने जाते हैं, तो ठेकेदार द्वारा उन्हें धमकी दी जाती है। गांव के लोगों और मंदिर के पुजारियों ने बताया कि उनके लगातार प्रयासों के बाद सांसद ने सीढ़ी निर्माण को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य श्रद्धालुओं को छोटी गंडक नदी से जल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाने में सुविधा प्रदान करना था। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत से इस महत्वपूर्ण कार्य को केवल औपचारिकता बना दिया गया है। इस संबंध में अवर अभियंता पी.एन. मिश्रा ने जानकारी दी कि ग्रामीणों की शिकायत प्राप्त हुई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही मौके पर जांच की जाएगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
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