संभल के कस्बा सिरसी स्थित इमाम बारगाह में हज़रत मोहम्मद साहब की बेटी हज़रत फातिमा ज़हरा की शहादत की याद में आयोजित पांच दिवसीय मजलिस का मंगलवार को समापन हो गया। इस अवसर पर शिया समुदाय के बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। मजलिस में वक्ताओं ने हज़रत फातिमा ज़हरा के जीवन और आदर्शों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हज़रत फातिमा ज़हरा को जन्नत की महिलाओं की सरदार माना जाता है। उनके पुत्र हज़रत इमाम हसन और हज़रत इमाम हुसैन जन्नत के जवानों के सरदार हैं, जबकि उनके पति हज़रत अली इमाम हैं। वक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि रसूल अल्लाह (पैगंबर मोहम्मद) रोज़ाना फज़्र की नमाज़ के बाद अपनी बेटी के घर जाकर उन्हें सलाम करते थे। यह उनके द्वारा बेटियों के सम्मान और प्रतिष्ठा को दिए गए महत्व को दर्शाता है। कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने बेटियों के अच्छे चरित्र और सामाजिक प्रतिष्ठा के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि नेक और संपूर्ण चरित्र वाली बेटियां परिवार और समाज दोनों में सम्मान प्राप्त करती हैं। वक्ताओं ने बताया कि पैगंबर मोहम्मद को बेटी देकर अल्लाह ने यह संदेश दिया कि नेक चरित्र वाली बेटी सभी के लिए गौरव और सम्मान का स्रोत होती है। मजलिस के दौरान श्रद्धा का माहौल रहा। नातों की प्रस्तुतियों के साथ-साथ वक्ताओं ने हज़रत फातिमा ज़हरा के जीवन से जुड़ी शिक्षाओं को विस्तार से साझा किया। उपस्थित लोगों ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज में बेटियों के महत्व और उनके चरित्र की सराहना को बढ़ावा देते हैं। पांच दिवसीय मजलिस का समापन इस संदेश के साथ हुआ कि बेटियों का सम्मान और उनकी शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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