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शिक्षामंत्री ने शिक्षकों की समस्याओं पर विभाग को पत्र भेजा:सांसद अरुण सागर की पहल पर लिया गया संज्ञान, समाधान की उम्मीद

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की मांगों का संज्ञान लिया है। उन्होंने शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए संबंधित विभाग को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह कदम शाहजहांपुर के भाजपा सांसद अरुण सागर द्वारा सौंपे गए एक पत्र के बाद उठाया गया है। सांसद अरुण सागर ने कुछ दिन पहले दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने शिक्षकों की समस्याओं का विस्तृत उल्लेख करते हुए एक पत्र सौंपा था। सांसद ने शिक्षा मंत्री से इन मुद्दों पर विचार करने और उनके समाधान के लिए संबंधित विभाग को निर्देश जारी करने का आग्रह किया था। शिक्षा मंत्री ने उस समय सांसद को इस संबंध में आश्वासन दिया था। सांसद अरुण सागर ने बताया कि कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने उनके आवास पर आकर मुलाकात की थी और एक ज्ञापन सौंपा था। पदाधिकारियों ने उनसे अपनी समस्याओं को शिक्षा मंत्री और शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाने का अनुरोध किया था। जनता की समस्याओं का समाधान सांसद ने कहा कि शाहजहांपुर के जनप्रतिनिधि होने के नाते यह उनका कर्तव्य है कि जनपदवासियों की समस्याओं का जल्द से जल्द निस्तारण हो और उन्हें राहत मिल सके। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का आभार व्यक्त किया। सांसद ने जोर देकर कहा कि भाजपा सरकार में जनता की समस्याओं का समाधान कराना ही पहली प्राथमिकता होती है। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा मंत्री द्वारा संबंधित विभाग को पत्र लिखना दर्शाता है कि शिक्षकों की समस्याएं उनके लिए भी महत्वपूर्ण हैं। सांसद ने यह भी बताया कि उन्होंने इससे पहले भी कई समस्याओं को सदन में और संबंधित विभाग के मंत्रियों तक पहुंचाया है, जिनका समाधान भी हुआ है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह भविष्य में भी इसी तरह जनपदवासियों की समस्याओं का समाधान कराते रहेंगे। दरअसल यह मुद्दा 8 दिसंबर को उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों द्वारा सांसद अरुण सागर को सौंपे गए एक ज्ञापन से जुड़ा है। ज्ञापन में बताया गया था कि 29 जुलाई 2011 से पहले उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। उस समय टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) की कोई शर्त लागू नहीं थी, लेकिन अब इन शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। आर्थिक स्थिति खराब होती टीईटी पास न करने पर उनके वेतन और भत्ते रोक दिए जाते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती है और पदोन्नति के अवसर भी नहीं मिलते। सांसद ने शिक्षा मंत्री को दिए पत्र में तर्क दिया कि ये शिक्षक पुरानी भर्ती प्रक्रिया के तहत चुने गए थे और उस समय टीईटी की शर्त लागू नहीं थी। उन्होंने इन शिक्षकों को परीक्षा से छूट देकर उनकी सेवा को सम्मान देने का अनुरोध किया था।


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