भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को सुल्तानपुर के गुरुद्वारा में वीर बाल दिवस मनाया। इस अवसर पर एक संगोष्ठी और प्रदर्शनी का शुभारंभ किया गया। इसके बाद, भाजपा जिला कार्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशती के उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें भाजपा प्रदेश मंत्री शंकर गिरि मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौरान, भाजपा के वरिष्ठ नेता शंकर गिरि ने मीडिया से बातचीत की और आगामी पार्टी कार्यक्रमों के साथ-साथ सामाजिक संस्कारों पर अपने विचार व्यक्त किए। वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों के सिलसिले में जनपद पहुंचे थे। शंकर गिरि ने बताया कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी पूरे प्रदेश में विधानसभा स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर रही है। यह विशेष अभियान 26 दिसंबर से 31 दिसंबर तक चलेगा। प्रत्येक विधानसभा में प्रदेश पदाधिकारी, सरकार के मंत्री, क्षेत्रीय पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष और स्थानीय विधायक अनिवार्य रूप से इन कार्यक्रमों में सम्मिलित हो रहे हैं। इसी क्रम में शंकर गिरि अमेठी के बाद सुल्तानपुर पहुंचे थे। मीडिया द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में, शंकर गिरि ने समाज में गिरते हुए संस्कारों और पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज हमेशा से दुनिया को दिशा और निर्देश देने वाला समाज रहा है। गिरि ने चिंता व्यक्त की कि आज के दौर में बच्चे और परिवार अशिक्षित हो रहे हैं या संस्कारों से विमुख हो रहे हैं। उन्होंने आधुनिक बोलचाल के शब्दों पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि ईरान और यूरोप में ‘मम्मी’ उसे कहते हैं जो मृत हो और जिसे लेपन लगाकर संरक्षित किया गया हो। आज लोग अपनी जीवित मां को ‘मम्मी’ कह रहे हैं, जो अनुचित है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे यहां ‘हाय’ लगने का मतलब अभिशाप माना जाता था, लेकिन अब यह अभिवादन बन गया है। उन्होंने समाज से अपील की कि वे फिर से ‘अम्मा’, ‘माताजी’, ‘बाबूजी’ जैसे शब्दों का प्रयोग शुरू करें और ‘पापा-सापा’ की संस्कृति को बंद करें।
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