ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज कल काशी पधार रहे हैं। लखनऊ से काशी पधारने पर शंकराचार्य का संतों और भक्तों द्वारा पुष्पवर्षा व जयघोष के मध्य भव्य स्वागत,अभिनंदन व उनके चरण पादुका का पूजन कर उनका वंदन किया जाएगा। काशी में वह शुक्लयजुर्वेद माध्यन्दिनी घनपाठ ग्रंथ का विमोचन करेंगे। कार्यक्रम का मुख्य विषय “शुक्लयजुर्वेद माध्यन्दिनी शाखा” से संबंधित वैदिक परंपरा, अनुसंधान एवं संरक्षण है। उक्त ग्रंथ के संपादक एवं शोधकर्ता डॉ. मणिकुमार झा हैं,जबकि इसको प्रकाशित प्रकाशन सेवालाय,ज्योतिर्मठ बद्रीकाश्रम हिमालय द्वारा किया गया है। 16 दिसंबर को होगा मुख्य आयोजन सर्वविदित हो कि यह ग्रन्थ प्रथम बार प्रकाशित हुआ है।अब तक यह घनपाठ श्रुत परम्परा से मौखिक रूप में संरक्षित था।यह ग्रंथ वैदिक अध्ययन,शोधार्थियों एवं सनातन परंपरा से जुड़े विद्वानों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा। कार्यक्रम का आयोजन 16 दिसंबर केदारघाट पर संपन्न होगा। घुसपैठ के मुद्दे पर सरकार को घेरा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने एक वीडियो में घुसपैठियों के मुद्दे पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा – जब 20 साल तक सरकार में रहते हुए घुसपैठियों को आने दिया गया, तो अब उन्हें बाहर निकालने के नाम पर वोट क्यों मांगा जा रहा है। उन्होंने जनता को मूर्ख समझने का आरोप लगाया। वहीं एसआईआर को उन्होंने सही बताते हुए कहा कि यदि मतदाता सूची को परिस्कृत किया जा रहा है तो इसमें आपत्ति की क्या बात है। पीएमओ का नाम बदलने से नाराज पीएमओ का नाम ‘सेवातीर्थ’ रखे जाने पर भी शंकराचार्य नाराज दिखे। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री आवास में कौन सा ऐसा पानी है, जिसमें नहाने से पाप धुल जाएंगे। वहां लोग चमड़े के जूते पहनकर जाएंगे, मांस भी खाया जाएगा, ऐसे में ‘तीर्थ’ शब्द हटाया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि इस मुद्दे पर आंदोलन भी किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।
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