मेरा भाई पिछले एक साल से कहता था कि कानपुर IIT से किसी प्रोफेसर या सीनियर का फोन तो नहीं आया, कोई घर तो नहीं आया… तुम्हें पापा की कसम है सच बोलना… हमारी जब भी बात होती थी वो डरा–डरा सा रहता था, कई बार उसने मुझे फोन कर कहा था कि वह लोग बहुत पॉवरफुल हैं… हम लोग उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते… यह कहना था IIT से बॉयो इंजीनियरिंग कर रहे छात्र जय सिंह मीणा के बड़े भाई धर्मेंद्र सिंह मीणा और बहन डॉक्टर ज्योति मीणा का। जय सिंह मीणा के परिजन पहुंचे कानपुर सोमवार को बायो इंजीनियरिंग कर रहे जय सिंह मीणा ने हॉस्टल नंबर दो के रूम नंबर 148 में पंखे से लटक कर सुसाइड कर लिया था। जिसके बाद जय के भाई धर्मेंद्र, बहन ज्योति, मौसेरी बहन पारूल, जीजा नरेंद्र, मामा पवन सिंह, महेंद्र सिंह समेत अन्य परिजन पहुंचे। बैंक की तैयारी कर रहे धर्मेंद्र ने बताया कि उनके पिता गौरी शंकर मीणा एसबीआई बैंक में मैनेजर थे, 2008 में उनकी सड़क हादसे में मौत हो गई थी। रविवार को मां से कहा था, मेरे साथ गांव चलना धर्मेंद्र ने बताया कि रविवार को जय की मां तारादेवी से फोन पर बात हुई थी। जिस पर उन्होंने राजस्थान स्थित तकराना झुनझुगन गांव जाने की बात कही थी। धर्मेंद्र ने बताया कि कुछ समय पहले नाना की मौत हो गई थी, जिसपर मां गांव जा रही थी, लेकिन जय ने फोन कर मना कर दिया था। उसने कहा था कि मैं सोमवार शाम को घर आ रहा हूं, मेरे साथ गांव चलना। रिजर्वेशन कैंसिल करा दो और मंगलवार को मेरे साथ चलना। 2 घंटे में परिजनों ने की थी 50 से अधिक कॉल धर्मेंद्र ने बताया कि इसके बाद रिजर्वेशन कैंसिल कराने के बाद सोमवार सुबह रिजर्वेशन कराने के लिए जय को सुबह 10 बजे पहला फोन किया, इसके बाद पूरे घर ने 50 से 60 कॉल की, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई। जय का वॉट्सएप कॉल का लास्ट सीन भी रविवार सुबह 11:30 बजे का बता रहा था। अनहोनी की आशंका के कारण उन्होंने उसके रूम पार्टनर सुमित को कॉल किया। 4 दिसंबर को क्लीयर हो गया था बैक पेपर सुमित ने अपने दोस्त विकास मीणा को जय के रूम में भेजा तो उसका शव फंदे से लटकता मिला। धर्मेंद्र ने बताया कि मेरा भाई परिवार की रीढ़ था… 4 दिसंबर को उसका बैक पेपर क्लीयर को गया था, जिस पर वह बहुत खुश भी था। जिस पर हमने बोला कि अब घर आजा– तो वह बोला कि बस दो दिन बाद आ रहा हूं, उन्होंने बताया कि मेरा भाई पढ़ाई वजह से मर नहीं सकता, उस पर कोई और ही प्रेशर था, जिस वजह से उसने हाथ की नस काटी और फिर फंदे से लटक कर सुसाइड कर लिया। उन्होंने कहा कि कुछ समय भाई ने काउंसिलिंग ली थी, जिसके बाद कांउसलर ने बताया भी था कि अब आपका भाई पूरा हेल्दी हो गया है। आखिरी बार दीपावली को घर गया था जय मेरा भाई पूरी तरह से नॉर्मल था, मेरी आईआईटी प्रशासन से मांग है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच करें, जिससे आगे किसी होनहार की जान न जाए। बहन ज्योति ने बताया कि बीते एक साल से भाई लगातार फोन कर पूछता था कि कैंपस से किसी सीनियर, दोस्त का फोन आया क्या? मैं मना करती थी तो वह मानता नही था, मुझसे कहता था कि पापा की कसम खाओ, पापा की कसम खाने पर वह मानता था। आखिरी बार रविवार को 11:30 बजे मेरी बात हुई थी, बातचीत में वह बहुत ही खुश लग रहा था। दीपावली में आखिरी बार घर आया था, हम लोगों ने साथ में पटाखे फोड़े, वीडियो गेम खेला, पूरे परिवार के साथ हंसी मजाक भी किया था। पापा की मौत के बाद उनकी पेंशन से भाई की पढ़ाई कराई थी, वह अपनी जिम्मेदारियां बखूबी समझता था। कहता था कि पापा की मौत हो गई है, अब किसी न किसी को तो जिम्मेदारियां लेनी पड़ेंगी। पोस्टमार्टम के बाद परिजन शव लेकर राजस्थान रवाना हो गए। इससे पहले उन्होंने कल्याणपुर थाने में मामले की पूरी जांच कराए जाने की मांग को लेकर तहरीर भी दी।
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