दसवें सिख गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे पुत्र साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह सहित सिख समाज के महान बलिदान को स्मरण करने और उसे जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से वीर बाल दिवस के अवसर पर भाजपा लखनऊ महानगर की ओर से कृष्णा नगर स्थित गुरवीर रॉयल होटल में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बृजेश पाठक बोले – मुगल अत्याचारों के सामने झुका नहीं सिख समाज संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि मुगल आक्रांताओं ने भारत की संस्कृति और परंपराओं को नष्ट करने के लिए हर संभव प्रयास किए। धर्म परिवर्तन के लिए अत्याचार किए जाते थे, लेकिन उस दौर में सिख समाज ने भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे-छोटे पुत्रों को केवल इसलिए जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया, क्योंकि उन्होंने धर्म परिवर्तन स्वीकार नहीं किया। यह बलिदान भारत और सनातन संस्कृति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इतिहास से सीख लेकर सुरक्षित भविष्य बनाना जरूरी उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के लिए हमें अपने इतिहास से सीख लेनी होगी। दुर्भाग्य से देश को लंबे समय तक ऐसा इतिहास पढ़ाया गया, जिसमें आक्रांताओं को महान बताया गया और सनातन संस्कृति की शिक्षाओं को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि आज यदि सनातन संस्कृति जीवित है, तो उसमें गुरु गोविंद सिंह जी और पूरे सिख समाज का अहम योगदान है, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए पूरे परिवार का बलिदान दिया। मोदी के नेतृत्व में बदला भारत, सम्मान और सुरक्षा बढ़ी बृजेश पाठक ने कहा कि आज देश की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त हाथों में है और भारत तेजी से बदल रहा है। सिख समाज के त्याग और बलिदान को सम्मान देने के लिए गुरु गोविंद सिंह प्रकाश पर्व और वीर बाल दिवस घोषित किए गए। उन्होंने उत्तर प्रदेश का जिक्र करते हुए कहा कि 2017 से पहले प्रदेश को गिरी नजरों से देखा जाता था। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं थे, अपराध और भय का माहौल था, लेकिन आज सुरक्षा और सुशासन का राज है। अब बहन-बेटियां रात में भी बेखौफ निकल सकती हैं। महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी – जन-जन तक पहुंचे सिख समाज के बलिदान की गाथा भाजपा लखनऊ महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी ने कहा कि सिख समाज के त्याग, समर्पण और बलिदान को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के उद्देश्य से इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। वीर बाल दिवस केवल स्मरण का नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास से जोड़ने का अवसर है।
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