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वीडीओ परीक्षा में धांधली- वांटेड आरोपी को लखनऊ से पकड़ा:OMR शीट से की गई थी छेड़छाड़, EOW टीम ने अब तक 15 को दबोचा

ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) भर्ती परीक्षा-2018 में धांधली के मामले में EOW टीम ने लखनऊ से वांछित अंकुर वर्मा को गिरफ्तार किया है। जांच में सामने आया है कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान बड़े स्तर पर अनियमितता कर अपात्र अभ्यर्थियों को चयनित कराया गया था। बलरामपुर के रहने वाले आरोपी अंकुर को गुरुवार शाम करीब 7:25 बजे केदारनगर क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। आरोपी को आगे की विधिक कार्रवाई के लिए संबंधित न्यायालय में पेश किया गया। परीक्षा के बाद धांधली आई सामने वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, लखनऊ द्वारा ग्राम विकास अधिकारी, समाज कल्याण पर्यवेक्षक और ग्राम पंचायत अधिकारी के कुल 1953 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित कराई गई थी। यह परीक्षा कार्यदायी संस्था टीसीएस लिमिटेड के माध्यम से संपन्न हुई थी। परीक्षा के बाद बड़े पैमाने पर धांधली की शिकायतें सामने आने पर शासन ने मामले की जांच विशेष अनुसंधान दल (EOW) को सौंपी थी। धांधली प्रमाणित होने पर दर्ज हुआ मुकदमा जांच में प्रथम दृष्टया अनियमितता और धांधली प्रमाणित होने के बाद विभूतिखंड थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। बाद में पूरे मामले की विवेचना EOW को सौंपी गई, जिसके तहत थाना एसआईटी लखनऊ में वर्ष 2021 में धोखाधड़ी, कूटरचना और आपराधिक साजिश से जुड़ी गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया। 173 आरोपियों के खिलाफ मिले साक्ष्य विवेचना के दौरान आरोपियों के बयान, प्राप्त अभिलेखों और वैज्ञानिक साक्ष्यों के विश्लेषण के बाद कुल 173 अभियुक्तों के खिलाफ अपराध प्रमाणित पाया गया। EOW द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन शिकंजा’ के तहत लगातार आरोपियों की गिरफ्तारी की जा रही है। इस मामले में EOW पहले ही 15 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। जांच एजेंसी का कहना है कि शेष वांछित आरोपियों की तलाश जारी है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां संभव हैं। ऐसे दिया गया घोटाले को अंजाम जांच में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों ने कार्यदायी संस्था टीसीएस लिमिटेड, दलालों और कुछ अभ्यर्थियों से मिलीभगत कर अवैध लाभ के लिए लिखित परीक्षा की ओएमआर शीट्स में बड़े पैमाने पर कूटरचना की। इसके जरिए अपात्र अभ्यर्थियों को अधिक अंक दिलाए गए और पात्र अभ्यर्थियों को चयन से वंचित कर दिया गया। धांधली उजागर होने के बाद पूरी परीक्षा को निरस्त कर दिया गया था।


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