विश्वनाथ मंदिर के 34वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार को श्रीरामलीला पार्क, सेक्टर-‘ए’, सीतापुर रोड योजना कॉलोनी में नंद महोत्सव और गिरिराज पूजन का आयोजन किया गया। श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन हुए इस महोत्सव में भक्तों ने भजनों की धुन पर झूमते हुए आनंद का अनुभव किया और भगवान को छप्पन भोग अर्पित किया गया। कथाव्यास आचार्य पं. गोविंद मिश्रा ने नंद महोत्सव और गिरिराज पूजा के प्रसंगों का वर्णन किया, जिससे सभी भक्त भावविभोर हो गए। पूरे पंडाल में ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक गीतों के बीच श्रद्धालु उत्साहपूर्वक झूमते रहे। आचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि समाज में तेजी से बदलाव आ रहा है, लेकिन आध्यात्मिकता, प्रेम और परस्पर सहयोग जैसे मूल्य हमेशा प्रासंगिक रहेंगे। नंदोत्सव महोत्सव आनंद का प्रतीक आचार्य ने नंदोत्सव के दिव्य प्रसंग और भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने बताया कि नंद महाराज के घर श्रीकृष्ण के जन्म के बाद पूरा गोकुल प्रेम और आनंद में डूब गया था। आचार्य ने जोर दिया कि नंदोत्सव केवल आनंद का प्रतीक नहीं, बल्कि प्रेम, सौहार्द और सामाजिक एकता का संदेश भी देता है। गिरिराज पूजा की कथा सुनाते हुए आचार्य ने बताया कि कैसे श्रीकृष्ण ने इंद्र के अभिमान को दूर कर ग्रामवासियों की रक्षा की थी। उन्होंने कहा कि यह पूजा प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण के महत्व का संदेश देती है। आचार्य ने वर्तमान संदर्भ में कहा कि जब मानव प्रकृति से दूर होता जा रहा है, तब गिरिराज प्रसंग हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के बिना जीवन असंभव है।
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