गोरखपुर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि जब विद्युत नियामक आयोग ने पॉवर कारपोरेशन द्वारा दिए गए घाटे के आंकड़े अस्वीकृत कर दिए हैं, तब पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का निर्णय भी निरस्त किया जाना चाहिए। समिति के पदाधिकारी पुष्पेन्द्र सिंह, जीवेश नन्दन, जितेन्द्र कुमार गुप्त, सीबी उपाध्याय, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, करुणेश त्रिपाठी, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह और राकेश चौरसिया ने यह मांग दोहराई। विद्युत नियामक आयोग ने फर्जी घाटे की पुष्टि नहीं की संघर्ष समिति ने बताया कि पॉवर कारपोरेशन ने आयोग को 25 हजार करोड़ रुपए का घाटा बताया था। गहन जांच के बाद आयोग ने कहा कि 2025-26 में वास्तविक राजस्व वसूल और खर्च में केवल 7,710 करोड़ रुपए का अंतर रहेगा। साथ ही, 1 अप्रैल 2025 को कारपोरेशन के खाते में 18,592 करोड़ रुपए जमा होने के कारण कोई घाटा नहीं रहेगा। इसी आधार पर आयोग ने बिजली टैरिफ में कोई वृद्धि नहीं की। एक साल पहले लिया गया निजीकरण का निर्णय संघर्ष समिति ने बताया कि कथित घाटे के आधार पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण का फैसला एक साल पहले ही किया गया था। इसके साथ ही, ग्रांट थॉर्टन द्वारा तैयार आरएफपी डॉक्यूमेंट भी इसी घाटे पर आधारित था। आरएफपी डॉक्यूमेंट भी गलत साबित हुआ संघर्ष समिति ने कहा कि अब जब घाटे के आंकड़े ही गलत साबित हो गए हैं, तो निजीकरण के लिए तैयार किया गया आरएफपी डॉक्यूमेंट भी निरस्त किया जाना चाहिए। समिति ने यह भी मांग की कि तत्कालीन निदेशक वित्त पर FIR दर्ज कर फर्जीवाड़े में कठोर कार्रवाई की जाए। संघर्ष समिति ने शुरू से आरोप लगाया था कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन फर्जी घाटे दिखाकर डिस्कॉम का निजीकरण करना चाहता है। विद्युत नियामक आयोग ने समिति के आरोपों की पुष्टि कर दी है।
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