परिवहन विभाग से जुड़े कामकाज में एक बार फिर तकनीकी खामी सामने आई है। अब वाहन ट्रांसफर और ऋण से संबंधित एचपीए (हाइपोथिकेशन) के लिए आवेदकों को अलग-अलग आवेदन करना पड़ रहा है। पहले दोनों काम एक ही आवेदन में हो जाते थे और एक बार में आरसी प्रिंट हो जाती थी, लेकिन अब यह सुविधा खत्म हो गई है। इससे आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है। पहले एक आवेदन, अब दो प्रक्रिया जिन वाहनों पर बैंक या फाइनेंस कंपनी का ऋण होता है, उनके लिए एचपीए कराना जरूरी होता है। पहले वाहन ट्रांसफर और एचपीए की प्रक्रिया एक साथ पूरी हो जाती थी, लेकिन अब दोनों के लिए अलग-अलग आवेदन करना पड़ रहा है। नतीजतन आवेदकों को बार-बार आरसी प्रिंट करानी पड़ रही है। एनआईसी पोर्टल की गड़बड़ी बनी वजह परिवहन विभाग के आरटीओ से जुड़े अधिकांश काम एनआईसी के पोर्टल के जरिए होते हैं। सूत्रों के मुताबिक, पोर्टल में तकनीकी गड़बड़ी के चलते यह समस्या पैदा हुई है। इससे पहले भी पोर्टल से जुड़ी खामियां सामने आती रही हैं। विभाग का खर्च भी बढ़ा, कागज की बर्बादी अलग-अलग आवेदन की वजह से न सिर्फ लोगों की भागदौड़ बढ़ी है, बल्कि विभाग का खर्च भी बढ़ गया है। बार-बार आरसी प्रिंट होने से अतिरिक्त कागज खर्च हो रहा है, जो पर्यावरण और सरकारी संसाधनों दोनों के लिहाज से नुकसानदेह है। फीस का क्या है नियम एचपीए के लिए किसी तरह की फीस नहीं ली जाती है, जबकि वाहन ट्रांसफर के लिए दोपहिया वाहनों पर 150 रुपये और चारपहिया वाहनों पर 300 रुपये शुल्क निर्धारित है। जल्द समाधान का दावा परिवहन विभाग ने इस समस्या की जानकारी एनआईसी को दे दी है। अधिकारियों का कहना है कि तकनीकी खामी को जल्द दूर कर लिया जाएगा, ताकि वाहन ट्रांसफर और एचपीए की प्रक्रिया फिर से एक साथ पूरी हो सके।
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