वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय की विशेष अदालत ने 13 साल पुराने केस में फैसला सुनाया। इस केस में आरोपी पिता और उसके दोनों पुत्रों को पड़ोसियों पर जानलेवा हमले के मामले में कोर्ट ने राहत दे दी। मुकदमे की रंजिश को लेकर हमला कर गम्भीर चोट पहुंचाने के मामले में पिता व दो पुत्रों को कोर्ट ने दोषी नहीं पाया। अदालत से बड़ी राहत मिल गई। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (तृतीय) श्रीकांत गौरव की अदालत ने मुकदमे के विचारण के बाद आरोप सिद्ध न होने पर मड़ईया, कपसेठी निवासी आरोपित जवाहिर व उसके दो पुत्रों आनंद व अखिलेश को दोषमुक्त कर दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, बृजपाल सिंह यादव गुड्डू, नरेश यादव व संदीप यादव ने पक्ष रखा। अभियोजन के वकील ने बताया कि 13 साल पहले कपसेठी निवासी रामआसरे पटेल ने अदालत में परिवाद दर्ज कराया था। आरोप था कि एक संपत्ति में रिकार्डेड स्वामी उसके पिता हैं। उसके पिता ने धारा-41 भूराजस्व अधिनियम के अन्तर्गत उपजिलाधिकारी, सदर के यहां प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया था। जिस पर नापी का आदेश होने पर कानूनगो व लेखपाल द्वारा नापी किया गया। इसके बाबत मुकदमा उपजिलाधिकारी सदर के यहां विचाराधीन है। इसी मुकदमे की रंजिश को लेकर विपक्षीगण 13 जून 2012 को सुबह 6 बजे उसकी आराजी पर कब्जा करने लगे और कानूनगो व हल्का लेखपाल द्वारा गाड़ा गया पत्थर उखाड़ने लगे। इस पर जब उसने व उसके परिवार के लोगों ने मना किया तो विपक्षीगण भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए लाठी-डण्डा व चाकू से उसे व उसके भाई रामभरोसे व उसकी भाभी गीता देवी पर हमला कर दिया। हमले में उसे, उसके भाई रामभरोसे व भाभी गीता को गम्भीर चोटें आयी है और भाभी का हाथ टूट गया। इस मामले में कपसेठी थाने में शिकायत के बाद जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उसने अदालत की शरण ली। अदालत ने परिवाद दर्ज कर सभी आरोपितों को तलब किया था। अदालत में विचारण के बाद साक्ष्य, गवाहों और चार्जशीट में आरोप सिद्ध न होने पर सभी को दोषमुक्त कर दिया गया।
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