वाराणसी जिला कोर्ट की अदालत में एसीजेएम (द्वितीय) ने मंगलवार को केस में विवेचना अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठते ही कोर्ट में तलब कर लिया। अदालत ने वादी मुकदमा के आरोप को गंभीरता से लेते हुए अदालत में व्यक्तिगत तौर पर 29 नवम्बर को बुलाया है। वादी मुकदमा शौर्य पाठक ने अदालत में प्रार्थना पत्र दिया आरोप लगाया कि उसने मण्डुवाडीह थाने में 28 नवंबर 2024 को एफ आई आर दर्ज कराई, विवेचना चौकी इंचार्ज सुरेन्द्र कुमार यादव को मिली। आरोप लगाया कि विवेचक चौकी इंचार्ज ने 30 नवंबर 2024 को मेरा कथित बयान दर्ज कर लिया जो कभी हुआ ही नहीं। इस दौरान मैं बोलने में सक्षम नहीं था और मेरी हालत ठीक नहीं थी। मामल में गंभीर चोटिल होने के कारण जब आधे दर्जन दांत टूटे हुए थे और तबीयत बहुत खराब थी। पीड़ित के अनुसार वह कुछ भी बोलने में असमर्थ था। इसके अलावा केस की जांच में खून से सनी शर्ट को विवेचक ने जांच में शामिल नहीं किया। टूटे दांतों का एक्सरे प्लेट मुख्य आरोपितों को बचाने के लिए गायब कर दिया बयान लिया। आरोप लगाया कि जांच अधिकारी ने मामले में कुछ लिखा कुछ बयान लिया। 14 दिसम्बर को सी डी में कहा कि 30 नवम्बर को ही बयान लिया गया। पीड़ित पक्ष ने अदालत से गुहार लगाई कि विवेचक द्वारा फर्जी बयान दर्ज करने व आरोपितों को बचाने के लिए मनमाना विवेचना के लिए विवेचक को जांचोपरांत दण्डित किया जाय और मामले में अग्रिम विवेचना की जाय। अदालत में वादी का पक्ष नित्यानंद राय, मिलिंद श्रीवास्तव, सतीश सिंह आदि अधिवक्ताओं ने रखा।
https://ift.tt/LeGsd08
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply