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वाराणसी की नैना ने बनाया हैंडबाल में अनोखा रिकार्ड:एक वर्ष में खेली सभी एशियन चैंपियनशिप, बोलीं- लक्ष्य ओलिंपिक टीम का हिस्सा बनना

वाराणसी की बेटी नैना ने अनोखा रिकार्ड अपने नाम किया है। नैना ने एक खेल कैलेंडर वर्ष में सभी एशियन हैंडबाल चैंपियनशिप में भारतीय टीम के साथ पार्टिसिपेट किया। जिसमें से दो टूर्नामेंट्स में वो उपकप्तान भी रहीं। नैना वाराणसी के शिवपुर की रहने वाली हैं और उनकी पिता टाइल्स के मिस्त्री हैं। नैना पूर्वांचल की पहली हैंडबाल इंटरनेशनल प्लेयर हैं। नैना ने चाइना में हुए टूर्नामेंट में टीम इंडिया के उपकप्तान की जिम्मेदारी संभाली थी। वहीं उज्बेकिस्तान में अंतिम मुकाबले में आखरी गोल कर टीम इंडिया को पांचवीं पोजीशन लाने में अहम भूमिका निभाई थी। नैना का लक्ष्य ओलिंपिक टीम में भारत का प्रतिनिधित्व करना और भारत को पदक दिलाने का है। नैना के प्रदर्शन को देखते हुए उसका चयन साईं स्पोर्ट्स सेंटर, गांधीनगर गुजरात में हुआ है। वाराणसी पहुंचने पर दैनिक भास्कर ने नैना यादव से बात की और उनके लक्ष्य के बारे में जाना। पढ़िए रिपोर्ट… चाइना में हुए हैंडबाल टूर्नामेंट, एशियन यूथ, जूनियर हैंडबॉल चैंपियनशिप और थर्ड एशियन यूथ गेम्स में जुलाई से लेकर नवंबर तक में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली वाराणसी के शिवपुर की रहने वाली नैना यादव गांधीनगर के साईं सेंटर में अपने खेल को और तराश रहीं हैं। उन्होंने कहा कि लोकल, नेशनल और इंटरनेशनल के खेल में काफी अंतर है। इंटरनेशनल लेवल पर सब कुछ अलग
पूर्वांचल की पहली इंटरनेशनल हैंडबाल खिलाड़ी नैना यादव ने बताया – मैंने चाइना में यूथ एशियन गेम खेला था। वहां जाकर पता चला कि जो हैंडबाल हम यहां खेलते हैं और जो इंटरनेशनल लेवल पर होता है वो काफी अलग है। यहां हम नार्मल बाल से खेलते हैं। वहां गम बाल से हैंडबाल खेला जाता है। बहुत ज्यादा फर्क है यहां और वहां के खेल में। वो सारी चीजें वहां जाकर सीखने और बहुत नई टेक्नीक खेलने को और सीखने को मिली। कैंप में मिलती है एकाग्रता और टीम भावना
नैना ने टीम के तालमेल के बारे में बताया – एक महीने के कैंप में हम लोग एक-दूसरे से घुल-मिल जाते हैं। जब टीम डिसाइड होती है। तो हम सभी खिलाड़ी बैठकर बात करते हैं। की कौन कैसे खेलेगा और किसकी पोजिशन किया होगी। साथ ही खेल कैसे खेलना है तेज धीरे और दोनों हाफ की रणनीति तय कर ली जाती है। इसके अलावा पासिंग मोड का भी ध्यान दिया जाता है। फिर हम मैदान में उतरते हैं। जिससे हमारे खेल में निखार आता है और हम जीतते हैं। हम खुद भी कोशिश करते हैं और हमारे कोच भी हमें गाइड करते हैं। स्ट्रेंथ और स्पीड मस्ट
नैना यादव ने बताया – विकास इंटर कालेज में पढ़ने आयी थी लेकिन यहां स्पोर्ट्स एक्टिविटी देखकर मेरा भी मन किया। जिसके बाद सर ने मुझे हैंडबाल में डाला। पिता जी मिस्त्री हैं तो किट आदि की परेशानी होती थी। इसपर हमारे सर ने सारी मदद की। उससे मै आगे बढ़ गई। हैंडबाल में स्ट्रेंथ और स्पीड की ज्यादा जरूरत है। अकसर देखा जाता है कि खिलाड़ी एक ब्रेक के बाद आगे नहीं बढ़ पाता तो जो जहां है वहां से एक-एक कदम आगे बढे फिर उसका मुकाम अच्छा होगा। ओलिंपिक लक्ष्य
नैना यादव ने बताया – मेरा लक्ष्य यही है कि एशियन चैंपियनशिप में जब खेल कर आये तो पता चला हमरा प्रदर्शन जापान और कोरिया से कम है। तो मन में यही थाना है कि और बेहतर करने के बाद इंडिया को ओलिंपिक में क्वालीफाई करवाना है। हैंडबाल संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष ने सराहा
हैंडबाल संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ एके सिंह ने कहा – नैना की इस उपलब्धि पर उसे बधाई। इसके अलावा कोई भी खिलाड़ी अपने मन में यह ठान ले कि हम कर सकते हैं तो वह कर सकते हैं। कोई भी खिलाड़ी हो उसका जोश, जुनून और जज्बा होगा वो आगे बढ़ जाएगा। हमारे विद्यालय की कक्षा 11 लेवल पर पहुंची है वह हमारे लिए गर्व की बात है।


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