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वर्ल्ड बेस्ट मेरिनो वूल से बना कोट पहनेंगे अखिलेश यादव:मेरठ में कोट की सिलाई शुरू, ऑस्ट्रेलियाई भेड़ों के बालों से साल में एक बार होता है तैयार

अखिलेश यादव मेरिनो वूल से बना कोट पहनेंगे। मेरठ में अखिलेश यादव के समर्थक जिला पंचायत सदस्य सम्राट मलिक पूर्व सीएम के लिए ये खास कोट तैयार करा रहे हैं। जिसका डिजायन, कपड़ा फाइनल हो चुका है। जोधपुरी स्टाइल का जो कोट अखिलेश यादव के लिए तैयार हो रहा है ये वूलन टविड कपड़े से बनेगा। ये वूलन टविड कपड़ा मेरिनो वूल जो एक खास प्रकार का ऊन है उससे तैयार होता है। अखिलेश यादव का कोट तैयार कराने वाले वैभव शर्मा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में इस कपड़े की पूरी खासियत बताई पढ़िए… विद्यार्थी खादी भंडार में हो रहा तैयार मेरठ के विद्यार्थी खादी भंडार में अखिलेश यादव के कोट की सिलाई का काम शुरू हो चुका है। विद्यार्थी खादी भंडार के मालिक वैभव शर्मा और उनके प्रोडक्शन हेड लोकेश रोहेला को लखनऊ ले जाकर उनका नाप दिलवा कर लाए थे। उसके बाद इस कोट का कपड़ा चुना गया। जिस ट्वीड कपड़े में यह कोट सिला जा रहा है वो मैरिनो वूल से बनती है। आस्ट्रेलियाई भेड़ों के बालों से बनती है ये ऊन दुनिया की सबसे बेस्ट क्वालिटी की ऊन मेरिनो भेड़ो ंके बालों से तैयार मेरिनो वूल को कहा जाता है। टेक्सटाइल वर्ल्ड में मेरिनो बेस्ट और 100 प्रतिशत नेचुलर वूल है। मेरिनो वूल ऑस्ट्रेलिया की भेड़ों के बालों से तैयार होता है। इसका रेशा बेहद खास होता है। जो शरीर के अंदर के तापमान को गर्म रखता है। दूसरे ऊन के मुकाबले ये ऊन ज्यादा गर्मी देती है। यह कपड़ा नमी सोखने की क्षमता भी रखता है जिसका फायदा यह होता है कि यह पसीने को सोखकर शरीर को सूखा रखती है। अब मेरिनो वूल इससे बने वुलन टविड की खासियत जानिए 1. हल्का और मुलायम रहता है कपड़ा मेरिनो वूल से बना ये कपड़ा वजन में हल्का होता है और इसके साथ ही मुलायम भी रहता है। इससे बने कोट या दूसरे कपड़े को लंबे समय तक पहना जा सकता है। 2. इस कपड़े की चमक कभी फीकी नहीं होती है। वजन में हल्का होने के कारण इसे पहनने पर अंकफर्ट फील नहीं होता। 3. हल्का होने के कारण शरीर पर ऊनी कपड़ों का वजन महसूस नहीं होता। अमूमन ऊनी कपड़े पहनने से गर्दन, कंधों में दर्द की समस्या होती है मेरिनो वूल के कपड़ों में शरीर खुला और आरामदायक रहता है। 4. नैचुरल एंटी बैक्टीरियल के कारण नो स्मेल मेरीनो वूल से तैयार इस ट्वीड में नैचुरल एंटी बैक्टीरियल भी होता है। इसकी वजह से इसमें पसीने की बदबू या बैक्टीरियल स्मेल नहीं होती। फंगस और इंफेक्शन की परेशानी भी नहीं होती है। 5. ये हाइपोएलर्जेनिक होता है, मेरिनो ऊन से आपकी एलर्जी की समस्या नहीं बढ़ेगी। इसकी स्वाभाविक अवशोषक प्रकृति धूल, धूल के कण और अन्य एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों को सोख लेती है। ऊन वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है। VOCs कई घरेलू सामग्रियों जैसे पेंट, एरोसोल और क्लीनर में पाए जाते हैं। 6. मेरिनो ऊन इन यौगिकों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे आपको रात में बेहतर नींद आने में भी मदद मिल सकती है। एलर्जी से पीड़ित हर व्यक्ति जानता है कि एलर्जी के दौरान सोना कितना मुश्किल होता है। ऊन इस समस्या का एक प्राकृतिक समाधान है और यह आश्चर्यजनक रूप से कारगर साबित होता है। कैसे बनता है मेरिनो वूल मेरिनो वूल आस्ट्रेलियाई भेड़ों के बालों से तैयार होता है। साल में 1 बार इन भेड़ों के बाल मैनुअली उतारे जाते हैं। इन बालों को सफाई करके कांबिंग के बाद उसे कातकर सूत फिर ऊन बनाया जाता है। मेरिनो वूल आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आता है, लेकिन स्पेन, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में भी पाया जाता है। सबसे महंगी ऊन से बनेगा अखिलेश का कोट मेरिनो ऊन 3 क्वालिटी वाली होती है। 22.6 माइक्रोन वाली मेरिनो वूल जो पश्चिमी न्यू साउथ वेल्स, क्वींसलैंड, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में उगाई जाती है। दूसरे नंबर पर मीडियम पैटर्न यानि 20.6–22.5 माइक्रोन की मेरिनो वूल आती है। जो न्यू साउथ वेल्स, क्वींसलैंड, विक्टोरिया, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के विस्तृत चारागाह क्षेत्रों में उगाई जाती है। सबसे प्राइमरी लेवल पर जो मेरिनो वूल तैयार होती है उसे महीन ऊन कहा जाता है। ये 9.5 माइक्रोन और उससे कम की होती है। जो न्यू साउथ वेल्स के उत्तरी और दक्षिणी पठारी क्षेत्रों, विक्टोरिया के पश्चिमी और दक्षिणी जिलों और तस्मानिया के मध्य क्षेत्रों में उगाया जाता है।


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