लखनऊ के कैसरबाग स्थित लाल बारादरी परिसर में राज्य ललित कला अकादमी की ओर से तीन दिवसीय कला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। इस प्रदर्शनी में वाराणसी के वरिष्ठ कलाकार हरि दर्शन सांख्य की 108 कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी का शीर्षक ‘हिमालय: द सेक्रेड साइलेंस ऑफ स्पिरिचुअलिटी’ है। यह प्रदर्शनी हिमालय के बाह्य स्वरूप के साथ-साथ उसकी अंतर्निहित आध्यात्मिक चेतना, मौन और दिव्यता को दर्शाती है। कलाकार ने अपने चित्रों में केवल पर्वत श्रृंखलाओं को नहीं उकेरा है, बल्कि हिमालय के उस मौन को भी जीवंत किया है, जिसे साधना, आत्मबोध और संवाद का प्रतीक माना जाता है। हिमालय की दिव्यता को प्रभावशाली ढंग से दिखाया प्रदर्शनी का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन ने किया था। इस अवसर पर राज्य ललित कला अकादमी के अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा, उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र मिश्र, क्षेत्रीय कार्यालय के सचिव देवेंद्र त्रिपाठी और लेखक व क्यूरेटर अशोक महिंदरू सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अकादमी अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि हरि दर्शन सांख्य ने यथार्थवादी शैली और सशक्त ब्रशवर्क के माध्यम से हिमालय की दिव्यता और सौंदर्य को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। उनके चित्र केवल दृश्य सौंदर्य तक सीमित नहीं हैं, बल्कि दर्शक को आध्यात्मिक अनुभूति की ओर ले जाते हैं। 17 दिसंबर तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी डॉ. विश्वकर्मा ने आगे कहा कि कलाकार ने उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों की दुर्गम यात्राओं के दौरान धुंध में छिपे प्राचीन मंदिरों, लोक कथाओं और सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपराओं को नजदीक से अनुभव किया है। इसका प्रभाव उनकी कृतियों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।अकादमी के निदेशक अमित अग्निहोत्री ने कहा कि हरि दर्शन की कलाकृतियां पर्वतों के चित्रण से आगे बढ़कर उनमें निहित ऊर्जा, शांति और मौन को अनुभूति में बदल देती हैं। यह प्रदर्शनी दर्शकों को प्रकृति और आध्यात्म के गहरे संबंध से जोड़ती है।यह कला प्रदर्शनी 17 दिसंबर तक प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी।
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