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वकील बोले- मेरठ से लाहौर पास, प्रयागराज दूर:वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच के लिए आंदोलन; 22 जिले बंद करने की तैयारी

देश के 53वें चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच को एक बड़ा मुद्दा माना है। इसके बाद फिर से ये मांग तेज हो गई है। 26 नवंबर को वेस्ट यूपी के 22 जिलों में सांसदों के आवास घेरे गए। अब 17 दिसंबर को वकील 22 जिलों में पूर्ण बंदी की तैयारी में हैं। वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग 60 साल से भी ज्यादा पुरानी है। वकील कहते हैं– मेरठ से प्रयागराज की दूरी करीब 700 किलोमीटर है। जबकि पाकिस्तान की राजधानी लाहौर से मेरठ सिर्फ 435 किलोमीटर दूर है। मतलब, दूरी के मामले में लाहौर जल्दी पहुंच जाएंगे, प्रयागराज नहीं। इसलिए वकील चाहते हैं कि वेस्ट यूपी में एक और पूरे यूपी में कम से कम तीन–चार हाईकोर्ट बेंच स्थापित हों, ताकि लोगों को सस्ता–सुलभ न्याय मिल सके। ‘दैनिक भास्कर’ ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर समझा कि यहां हाईकोर्ट बेंच की जरूरत क्यों है? कितने केस पेंडिंग हैं? बेंच मिली तो क्या आसान होगा? ये रिपोर्ट पढ़िए। ‘हाईकोर्ट में हर महीने साढ़े 5 हजार नए केस, 20–25 साल में भी अपील पर सुनवाई नहीं’ पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच बनाए जाने के लिए वकीलों की एक केंद्रीय संघर्ष समिति बनी हुई है। इसके चेयरमैन वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शर्मा कहते हैं– पश्चिमी यूपी में 22 जिले हैं। इनकी आबादी करीब 8 करोड़ है। पश्चिम यूपी से इलाहाबाद हाईकोर्ट की दूरी 700 किलोमीटर है। न्याय सस्ता और सुलभ मिलना चाहिए, वो हमें अधिक दूरी होने की वजह से नहीं मिल पाता। कभी वेस्ट की जनता को न्याय नहीं मिल पाता। यहां तक कि मेरठ से लाहौर हाईकोर्ट भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुकाबले काफी पास है। वे आगे कहते हैं– इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमों की पेंडेंसी काफी है। वहां हर महीने साढ़े पांच हजार नए केस दर्ज हो रहे हैं, जबकि पुरानी पेंडेंसी खत्म नहीं हो रही। 20–25 साल हो गए, लोगों की अपीलों का नंबर नहीं आ रहा। जो केस लिस्टेड हो जाते हैं, उनमें भी कई–कई साल तक सुनवाई नहीं हो पाती। जनता को न्याय नहीं मिलने से कानून व्यवस्था भी प्रभावित है। इसलिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच होनी चाहिए। बल्कि मैं तो कहूंगा कि हाईकोर्ट बेंच एक से ज्यादा हो। यूपी में कम से कम चार–पांच बेंच होनी चाहिए, ताकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की पेंडेंसी खत्म हो सके। वरना जनता न्याय नहीं प्राप्त कर पाएगी। ‘पूरब के अधिवक्ता प्रभावी, वो नहीं बनने दे रहे हाईकोर्ट बेंच’ मेरठ के वरिष्ठ अधिवक्ता रामकुमार शर्मा कहते हैं– हाईकोर्ट बेंच की मांग 60 साल से भी ज्यादा पुरानी है। वकील इसके लिए तब से ही प्रखर आंदोलन कर रहे हैं। हमने 6–7 महीने तक हड़तालें भी की हैं, लेकिन सरकार की पता नहीं ऐसी कौन सी कार्यप्रणाली है कि हमारी इस मांग को कभी तवज्जो नहीं दी, जबकि सरकार ही सस्ता–सुलभ न्याय की बात करती है। हमें न सस्ता, न सुलभ न्याय मिल रहा। समय की अलग से बरबादी हो रही है। इससे हमारा आर्थिक शोषण भी हो रहा। लोअर कोर्ट से न्याय न मिलने पर हमें इलाहाबाद हाईकोर्ट जाना पड़ता है। 700 किलोमीटर दूर जाना, वहां रहना, वहां रहकर न्यायिक प्रक्रिया में शामिल होना आसान नहीं है। एक केस के लिए कम से कम तीन दिन लगते हैं। तीन दिन वहां रहना, खाना और वकील की फीस देना मुश्किलों भरा है। इसलिए ही हम जन आंदोलन कर रहे हैं। ये आंदोलन वकीलों का नहीं, बल्कि जनता का है। वकीलों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फीस मुवक्किल को देनी है। वेस्ट में हाईकोर्ट बेंच बनने से मुवक्किल को ही फीस कम देनी पड़ेगी। महाराष्ट्र में चार–चार खंडपीठ, यूपी में सिर्फ दो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रमुख रूप से मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़, आगरा मंडल के जिले आते हैं। इन सभी जिलों से इलाहाबाद हाईकोर्ट की दूरी करीब–करीब 700 किलोमीटर है। इतनी लंबी दूरी के कारण मुवक्किलों और वकीलों को ज्यादा समय, ज्यादा पैसा खर्च करना होता है। गरीबी और कम संसाधन वाले लोगों के लिए ये समस्या और ज्यादा हो जाती है। यूपी में हाईकोर्ट के अलावा उसकी एक और खंडपीठ है, वो लखनऊ में है। लखनऊ भी वेस्ट यूपी से करीब 450 किलोमीटर दूर है। हालांकि वेस्ट के मुकदमों की सुनवाई सीधे इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही होती है। महाराष्ट्र में हाल ही में हाईकोर्ट की चौथी बेंच स्थापित करने की अधिसूचना जारी हुई है। वकील कहते हैं कि जब महाराष्ट्र में चौथी बेंच बन सकती है तो वेस्ट यूपी में क्यों नहीं? हालांकि वेस्ट में भी हाईकोर्ट बेंच स्थापना को लेकर वकीलों में मतभेद है। आगरा के वकील अपने यहां, तो मेरठ के वकील अपने यहां हाईकोर्ट बेंच चाहते हैं। वकीलों में तालमेल नहीं बनना भी इस मिशन की असफलता का एक कारण है। मेरठ कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गुप्ता बताते हैं– ‘वर्ष 2002 में मैं मेरठ कोर्ट में प्रेक्टिस करने आया था। उस वक्त भी हाईकोर्ट बेंच की मांग चल रही थी। ये मांग जैसी तब थी, वैसी ही आज है। ये मांग पुरानी उस वक्त भी थी, आज ये और पुरानी हो गई है। वास्तविकता ये है कि ये मांग केवल वकीलों की नहीं है, ये मांग से ज्यादा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता की आवश्यकता है। वकीलों को धक्के नहीं खाने पड़ते। मुवक्किलों को ही प्रयागराज जाकर परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। इतना लंबा सफर तय करके अपने न्याय की लड़ाई के लिए पब्लिक को वहां जाना पड़ता है।’ ………………………… ये खबर भी पढ़ें… चंद्रशेखर की रैली में क्यों नहीं पहुंचीं एक्स गर्लफ्रेंड घावरी?:बोलीं- मुझ पर सेक्सटॉर्शन केस कराया, पिता–भाई को भी घसीटा यूपी की नगीना सीट से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर ने संविधान दिवस पर विधानसभा चुनाव- 2027 का आगाज कर दिया। उन्होंने मुजफ्फरनगर में रैली की। इसमें उनकी कथित गर्लफ्रेंड डॉक्टर रोहिणी घावरी ने X पोस्ट के जरिए शामिल होने का दावा किया था। हालांकि वह इस सभा में नहीं पहुंचीं। घावरी क्यों नहीं पहुंचीं? इसका जवाब जानने के लिए ‘दैनिक भास्कर’ ने रोहिणी से बात की। बताया- उनका वर्क परमिट वीजा एक्सपायर हो गया है। इसके चलते उन्हें इंडिया जाने की अनुमति नहीं मिल पाई। पढ़िए पूरी खबर…


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