एसटीएफ के बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह को नकली कफ सिरप मामले में लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया। वो मूल रूप से चंदौली जिले के बलुआ थाना क्षेत्र के कैथी गांव का रहने वाला है। गांव के लोगों का कहना है कि आलोक सिंह व्यवहार मे मिलनसार था। वो ऐसा करेगा, ऐसा कभी नहीं सोचा था। उसके परिवार के लोग भी गांव के प्राचीन रामलीला में सहयोग करने में आगे रहते थे। ग्रामीणों के अनुसार, कैथी गांव के रेल डाक विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी वीरेंद्र प्रताप सिंह के तीन बेटे हैं। जिसमें मांधाता सिंह, आलोक सिंह उर्फ डब्लू और बंबू सिंह। आलोक के सहपाठी रहे कैथी गांव के ज्ञानधर तिवारी ने बताया – आलोक ने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से कक्षा तीसरी तक 1982 में पढ़ाई की थी। इसके बाद चहनियां स्थित खंडवारी विद्यालय से सातवीं तक की पढ़ाई की। उनके पिताजी लखनऊ में पोस्ट ऑफिस में पोस्टमास्टर थे। इससे सातवीं के बाद वे पिता के साथ लखनऊ में रहने चले गये। वहां पुलिस में भर्ती हुए। गांव के लोगों ने कहा कि उनका व्यवहार इतना सरल था कि विश्वास ही नहीं हो रहा है की कभी आलोक ऐसा काम कर सकते हैं। कैथी गांव के ज्ञानधर तिवारी ने बताया कि गांव में आज आलोक सिंह के दो चाचा नित्यानंद सिंह, दुर्गा सिंह खेती-बाड़ी करते हैं। नित्यानंद सिंह जहां सेक्रेटरी के पद से रिटायर हुए हैं, वहीं दुर्गा सिंह पुलिस विभाग में थे। उन्होंने बताया कि आलोक हमारे साथ बचपन में प्राथमिक विद्यालय में पढ़े थे। पढ़ने में बहुत अच्छे थे। कफ सिरप का जो मामला सुनने में आ रहा है, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है कि आलोक ऐसा काम कर सकता है। वैसे जांच एजेंसियों पर पूरा भरोसा है कि सही तथ्य सामने आ जाएंगे।
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