देवरिया के सलेमपुर तहसील में तैनात लेखपाल आशीष कुमार का शव रविवार भोर में उनके पैतृक गांव धनगड़ा पहुंचा। शव पहुंचते ही पूरे इलाके में कोहराम मच गया। परिजनों ने तत्काल अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया और प्रशासनिक अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए हंगामा किया। घर के बाहर सैकड़ों ग्रामीण, लेखपाल संगठन के सदस्य और कई अधिकारी मौजूद थे। शव पहुंचने पर आशीष की पत्नी और मां का क्रंदन देखकर सलेमपुर की एसडीएम दिशा श्रीवास्तव भी भावुक हो गईं और उनकी आंखें भर आईं। परिजनों ने आरोप लगाया कि आशीष कुमार पर SIR (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट) कार्यों का अत्यधिक दबाव था, जिसके कारण 28 नवंबर की रात उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें तत्काल गोरखपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 29 नवंबर की सुबह उनकी मृत्यु हो गई। परिवार का दावा है कि आशीष पूरी तरह स्वस्थ थे और उनकी जान काम के बोझ व दबाव के कारण गई है। हालांकि, देर रात जिला प्रशासन द्वारा जारी प्रेस नोट में उनकी मौत का कारण “गंभीर बीमारियां” बताया गया, जिसे परिजनों ने सिरे से खारिज कर दिया। प्रशासन की इस रिपोर्ट से नाराज परिजन और लेखपाल समुदाय शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर रहे थे। मौके पर बड़ी संख्या में लेखपाल इकट्ठा होकर प्रशासनिक अधिकारियों पर उत्पीड़न के आरोप लगा रहे थे। स्थिति तनावपूर्ण होने पर भारी पुलिस बल के साथ जिले के कई एसडीएम और वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और परिवार को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थे। आखिरकार, सलेमपुर विधायक और प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी गौतम ने परिजनों से बातचीत की। उन्होंने न्यायसंगत कार्रवाई और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। मंत्री के आश्वासन और अधिकारियों की समझाइश के बाद परिवार अंतिम संस्कार के लिए राजी हुआ। लेखपाल आशीष कुमार की मौत ने जिले में प्रशासनिक दबाव, कार्यप्रणाली और कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनके जवाब अभी भी प्रतीक्षित हैं।
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