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ललितपुर में 14 साल पुराने दहेज केस में 6 बरी:महिला ने 2011 में पति समेत ससुरालियों पर दर्ज कराया था मामला

ललितपुर में 14 साल पुराने दहेज उत्पीड़न और प्रताड़ना के एक मामले में सिविल जज (जूनियर डिविजन/न्यायिक मजिस्ट्रेट) देवप्रिय सारस्वत की अदालत ने छह आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। यह फैसला शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुनाया गया। यह मामला वर्ष 2011 में ललितपुर के महिला थाने में दर्ज किया गया था। शहर के नेहरू नगर निवासी सिम्पल रजक ने अपने पति मनोज रजक सहित ससुराल पक्ष के लोगों पर आरोप लगाए थे। सिम्पल ने अपनी शिकायत में कहा था कि तीन साल पहले उसकी शादी गल्ला मंडी कॉलोनी निवासी मनोज रजक से हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार हुई थी। शादी के बाद उसके ससुर सतीश, सास राधा, देवर राजेश, सुनील, दीपू और पति मनोज ने 50 हजार रुपये और एक मोटरसाइकिल दहेज में न मिलने पर उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। आरोप था कि दहेज न देने पर उसके साथ मारपीट की गई, उसे खाना और कपड़े से वंचित रखा गया, स्त्रीधन छीन लिया गया और उसे घर से निकाल दिया गया। पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया था कि उसे वापस आने पर जिंदा जलाने की धमकी दी गई थी। उसका एक वर्षीय बेटा भी है। शिकायत के अनुसार, 3 अप्रैल 2011 को ससुराल पक्ष के लोग उसके मायके पहुंचे और दूसरी शादी का कार्ड दिखाते हुए दहेज न मिलने पर उसे रखने से इनकार कर दिया। इस दौरान उन्होंने गाली-गलौज और मारपीट भी की, तथा जान से मारने की धमकी देकर चले गए। पुलिस ने तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज की और जांच के बाद 23 मई 2013 को सभी आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। तब से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन था। विचारण के दौरान पीड़िता के पति मनोज की मृत्यु हो गई थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने राधा, राजेश, सतीश, सुनील, मीरा और दीपू को दहेज प्रतिषेध अधिनियम, दहेज उत्पीड़न, गाली-गलौज, मारपीट और जान से मारने की धमकी के आरोपों से दोषमुक्त कर दिया।


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