ललितपुर में सात साल पुराने सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। न्यायालय ने एक आरोपी को 20 साल के सश्रम कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई। जबकि दूसरे आरोपी के पेश न होने पर उसे भगोड़ा घोषित करते हुए उसकी पत्रावली अलग कर दी गई। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता एनडी गौर ने बताया कि यह घटना 8 मार्च 2018 की है। थाना बार क्षेत्र के एक गांव में किशोरी उस दिन घर पर अकेली थी। जबकि परिजन खेत पर फसल काटने गए थे। शाम को लौटने पर किशोरी घर से गायब मिली। ग्रामीणों ने बताया कि दो युवक मोटरसाइकिल से आए और उसे अपने साथ ले गए। पीड़िता की तहरीर पर पुलिस ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। जांच में मध्य प्रदेश के अशोकनगर के ग्राम बरखेड़ी निवासी शैलेंद्र उर्फ भूपेंद्र जाटव और राजेश उर्फ कालिया के नाम सामने आए। पूछताछ में उन्होंने गांव के रामकिशोर, सावित्री और धन सिंह की भूमिका बताई। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। कोर्ट में गवाहों, साक्ष्यों और चिकित्सीय रिपोर्ट के आधार पर न्यायाधीश नवनीत कुमार भारती ने शैलेंद्र उर्फ भूपेंद्र और राजेश उर्फ कालिया को दुष्कर्म का दोषी पाया। शैलेंद्र को 20 साल के सश्रम कारावास और 40 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई गई। राजेश उर्फ कालिया के अनुपस्थित रहने पर उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया। वहीं, मामले में सहयोग के आरोप में दोषी पाए गए रामकिशोर और सावित्री को जेल में बिताई गई अवधि की सजा के साथ अर्थदंड दिया गया, जबकि धन सिंह को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया।
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