सीएसए के ग्राउंड में 11 दिसंबर को लड्डू की महक महकेगी। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह की पहल पर लड्डू बाजार लगेगा। यहां तिल-गुड़ की सोंधी सुगंध, सौंठ-पंजीरी की गर्माहट, गोंद-मेवा की करारी मिठास और बाजरा-रागी जैसे मिलेट से बने ऊर्जा-वर्धक लड्डुओं की झांकियां देखने को मिलेंगी। सर्दियों की पौष्टिक परंपराओं का सामूहिक उत्सव थीम पर आधारित यह लड्डू बाज़ार उन घरेलू व्यंजनों को फिर से केंद्र में लाने का प्रयास है, जो पीढ़ियों से कानपुर के जाड़े की पहचान रहे हैं। कौन से होंगे लड्डू
तिल-गुड़ के लड्डू, जो शरीर को गरम रखते हैं। गोंद के लड्डू, जिनका कुरकुरापन ताकत बढ़ाता है और बाजरे-रागी के लड्डू, जो अपनी मिट्टी-सी महक से हर उम्र के लोगों को भाते हैं। इन सभी का स्वाद एक ही मंच पर उपलब्ध होगा। इन लड्डुओं की खासियत यह है कि वे स्वाद के साथ-साथ सेहत के पारंपरिक आधार भी हैं। लड्डू बाज़ार में स्वयं-सहायता समूह, स्थानीय महिलाएं और पारंपरिक घरेलू भोजन से जुड़े लोग अपने घरों में बनने वाले विभिन्न प्रकार के लड्डू प्रस्तुत करेंगे। शीतकालीन परंपराओं का सम्मान
सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा संजय सिंह ने कहा कि यह सिर्फ मिठास का उत्सव नहीं, बल्कि उन शीतकालीन परंपराओं का सम्मान है, जो आज भी घरों की रसोई में सेहत की विश्वसनीय धरोहर बनी हुई हैं। डीएम ने कहा कि जाड़े के ये देसी लड्डू हमारी सांस्कृतिक पहचान और पोषण परंपरा का हिस्सा हैं। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि अधिक से अधिक लोग लड्डू बाज़ार में शामिल होकर इस विरासत को आगे बढ़ाने में सहभागिता करें।
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