लखीमपुर खीरी के निघासन तहसील स्थित ग्राम भेरमपुर में रविवार को एक अनोखी ग्रामीण परंपरा का निर्वाह किया गया। यहां कुएं और इमली के पौधे का विवाह पूरे हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस अनूठे आयोजन ने पूरे गांव में विशेष उत्साह का माहौल बना दिया। विवाह समारोह की शुरुआत ग्राम भेरमपुर के पंडित कृपा शंकर दीक्षित ने वैदिक विधि से की। इस दौरान आम की लकड़ी से एक वर पुतला बनाया गया, जिसे वस्त्र, माला, पगड़ी और पारंपरिक सोलह श्रृंगार से सजाया गया। इसके बाद, इस पुतले में धागा बांधकर उसे लगभग 400 मीटर दूर स्थित एक आम के बाग में ले जाया गया। यहां इमली के पौधे को ‘वधू’ के रूप में सजाया गया था। इमली पक्ष की ओर से वधू को सुहाग सामग्री के तौर पर सोने का नाक फूल, टॉप्स, चांदी का मंगलसूत्र, पायल, साड़ी-ब्लाउज, चूड़ी और चुनरी पहनाई गई। कुएं पक्ष के सैकड़ों बाराती डीजे साउंड पर फिल्मी गीतों की धुन पर जमकर नाचे। बारात ने पूरे गांव के मार्गों का भ्रमण किया, जहां गांव की गलियों में उनका भव्य स्वागत किया गया। आम बाग पहुंचने पर पंडित द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ‘द्वाराचार’ की रस्म पूरी की गई। जनातियों ने बारातियों का स्वागत चाय, नमकीन और लड्डू के नाश्ते से किया। इसके बाद, सभी को सब्जी, दाल, चावल और पूड़ी का स्वादिष्ट भोजन परोसा गया, जिसका सभी ने आनंद लिया। आम बाग में पंडित कृपाशंकर ने विधि-विधान से कुएं और इमली के सात फेरे कराए। इसके साथ ही पारंपरिक ‘कलेवा’ रस्म भी पूरी की गई। इस पूरे विवाह कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने छेई, रतिजगा और तेल पूजन जैसी पारंपरिक रस्में निभाकर आयोजन की शोभा बढ़ाई। ग्राम निवासी जगन्नाथ प्रसाद यादव ने बताया कि गांव में कुएं और इमली के विवाह की यह परंपरा बहुत पुरानी है। उन्होंने जानकारी दी कि सन 1960 में गांव के खुशीराम यादव के परिवार द्वारा यह अनूठा विवाह पहली बार कराया गया था, और फिर सन 1995 में इसे दोबारा संपन्न किया गया था।
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