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लखनऊ से 11 लाख वोटर गायब:SIR के बाद लिस्ट में शहरी वोटर कम हुए, 31 दिसंबर को जारी होगी फाइनल सूची

लखनऊ में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद बड़ा अंतर सामने आया है। अभियान शुरू होने से पहले जिले में कुल 39.85 लाख मतदाता दर्ज थे, लेकिन पुनरीक्षण के बाद करीब 11 लाख मतदाताओं का नाम सिस्टम में नहीं चढ़ पाया। इसका मतलब है कि फिलहाल करीब 28.85 लाख मतदाता ही रिकॉर्ड में दिखाई दे रहे हैं। 26 दिसंबर को गणना प्रपत्र जमा करने की अंतिम तारीख निकल चुकी है, जबकि 31 दिसंबर को फाइनल पुनरीक्षित मतदाता सूची जारी होनी है। इतने बड़े अंतर से निर्वाचन प्रशासन में हलचल मची हुई है। हालांकि, जिन मतदाताओं के नाम सूची में नहीं आ पाए हैं, उन्हें दावा और आपत्ति के जरिए नाम जुड़वाने का विकल्प दिया गया है। 31 दिसंबर को जारी होगी फाइनल वोटर लिस्ट जिला निर्वाचन अधिकारी विशाख जी ने बताया कि 26 दिसंबर गणना प्रपत्र जमा करने की अंतिम तारीख थी। इसके बाद प्राप्त फॉर्म के आधार पर सत्यापन की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। 31 दिसंबर को लखनऊ की सभी नौ विधानसभा सीटों की फाइनल मतदाता सूची जारी कर दी जाएगी। इसके बाद यह साफ हो जाएगा कि कुल कितने वोटर सूची में बने रहे और कितने मतदाता SIR प्रक्रिया से बाहर हो गए। फॉर्म जमा नहीं कर पाने वालों के पास क्या विकल्प निर्वाचन अधिकारियों के मुताबिक, जिन मतदाताओं ने SIR के दौरान गणना प्रपत्र जमा नहीं किया है, उनका नाम फाइनल सूची में नहीं रहेगा। ऐसे मतदाता आगे चलकर फॉर्म-6 के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें पहचान और पते से जुड़े दस्तावेजों के साथ यह भी दिखाना होगा कि उनके माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य का नाम 2003 की मतदाता सूची में दर्ज रहा हो। नए या छूटे हुए वोटरों के मामलों में जांच प्रक्रिया पहले की तुलना में ज्यादा सख्त होगी। शहर में ज्यादा, ग्रामीण इलाकों में कम ‘लापता’ वोटर SIR के आंकड़ों से साफ है कि ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों में फॉर्म जमा करने का प्रतिशत बेहतर रहा, जबकि शहर की विधानसभाएं पीछे रह गईं। मोहनलालगंज और मलिहाबाद जैसी ग्रामीण सीटों पर 82 प्रतिशत से ज्यादा गणना प्रपत्र जमा हुए। इसके उलट लखनऊ उत्तर, मध्य और पूर्व जैसी शहरी सीटों पर 60 से 63 प्रतिशत के बीच ही फॉर्म आ पाए। सबसे कम प्रदर्शन लखनऊ उत्तर विधानसभा का रहा, जबकि मोहनलालगंज और मलिहाबाद सबसे आगे रहे। 9 विधानसभाओं में कहां कितने वोटर प्रभावित निर्वाचन विभाग के आकलन के मुताबिक, जिन विधानसभा क्षेत्रों में फॉर्म जमा होने का प्रतिशत कम है, वहीं से सबसे ज्यादा वोटर ‘लापता’ माने जा रहे हैं। शहरी इलाकों में बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता मिले हैं, जो किराए पर रहते थे, स्थान बदल चुके हैं या जिनके नाम एक से अधिक जगह दर्ज थे। ग्रामीण इलाकों में आबादी स्थिर होने के कारण फॉर्म वापसी का प्रतिशत ज्यादा रहा और वहां कम वोटर सूची से बाहर हुए। क्यों घट रही मतदाताओं की संख्या अधिकारियों का कहना है कि SIR से पहले मतदाता सूची में बड़ी संख्या में डुप्लीकेट, मृत और विस्थापित वोटरों के नाम दर्ज थे। SIR के दौरान ऐसे मतदाताओं ने या तो फॉर्म नहीं भरा या केवल एक ही स्थान से विवरण दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि कुल मतदाताओं की संख्या घटती दिख रही है। निर्वाचन विभाग का दावा है कि इससे भविष्य में वोटिंग प्रतिशत अधिक वास्तविक और सटीक होगा। मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान बीएलओ की भूमिका भी जांच के दायरे में है। प्रशासन यह परख रहा है कि सभी मतदाताओं तक गणना प्रपत्र पहुंचाया गया था या नहीं और जिन तक पहुंचा, उन्होंने उसे वापस क्यों नहीं किया। इसके लिए बीएलओ की सूचियों और डिजिटल पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों का मिलान किया जा रहा है।


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