लखनऊ का ईस्ट–वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर अब तेजी से आकार ले रहा है। यूपी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (UPMRC) ने दूसरे चरण की मेट्रो के लिए ड्राइंग एंड डिजाइन कंसल्टेंट चुनने की प्रक्रिया तेज कर दी है। अगले सप्ताह वह टेंडर खुलेगा जिसके आधार पर कंसल्टेंट का चयन किया जाएगा। चयनित कंपनी मेट्रो स्टेशन, रूट और यात्री सुविधाओं से जुड़े सभी तकनीकी पहलुओं का अध्ययन करेगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर आगे सिविल वर्क के टेंडर जारी होंगे। 11.2 किमी का कॉरिडोर, 12 स्टेशन इसी साल अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने प्रस्तावित चारबाग से बसंतकुंज तक 11.2 किमी लंबे कॉरिडोर को मंजूरी दी थी। करीब 5800 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे इस प्रोजेक्ट में कुल 12 स्टेशन शामिल हैं। यह रूट चारबाग, अमीनाबाद, चौक जैसे पुराने और घनी आबादी वाले इलाकों से होकर गुजरेगा। डीपीआर के मुताबिक, प्रारंभिक चरण में प्रतिदिन 2–2.5 लाख यात्री, वर्ष 2035 तक 4.59 लाख यात्री, और 2041 तक यह संख्या 6 लाख प्रतिदिन तक पहुंच जाएगी। 7 अंडरग्राउंड, 5 एलिवेटेड स्टेशन मेट्रो फेज-2 में कुल 12 स्टेशन बनाए जाएंगे। घनी आबादी के कारण इस रूट पर 7 स्टेशन भूमिगत होंगे। चारबाग, गौतम बुद्ध मार्ग, अमीनाबाद, पांडे गंज, सिटी रेलवे स्टेशन, मेडिकल कॉलेज चौराहा और निवाजगंज। निवाजगंज से आगे मेट्रो एलिवेटेड ट्रैक पर आ जाएगी। एलिवेटेड स्टेशन होंगे ठाकुरगंज, बालागंज, सरफराजगंज, मूसा बाग और वसंत कुंज। वसंत कुंज में ही मेट्रो डिपो बनाया जाएगा। बिजली बचत पर भी जोर, स्टेशन पर लगेंगे सोलर पैनल मेट्रो संचालन में सबसे बड़ा खर्च बिजली का होता है। इसे कम करने के लिए यूपीएमआरसी ने फेज-2 के स्टेशनों पर भी सोलर पैनल लगाने की योजना बनाई है। सोलर सिस्टम लगने के बाद हर माह करीब 2 करोड़ रुपए की बचत का लक्ष्य रखा गया है। डिपो के लिए 40 एकड़ जमीन चिन्हित लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने बसंतकुंज योजना के सेक्टर-A में करीब 40 एकड़ जमीन डिपो निर्माण के लिए चिन्हित कर दी है। औपचारिकताएँ पूरी होते ही पूरी रिपोर्ट यूपीएमआरसी को सौंप दी जाएगी। एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार के मुताबिक, यूपीएमआरसी ने 13 अगस्त को हरदई रोड पर डिपो हेतु जमीन की मांग की थी। इसके बाद बसंतकुंज योजना में पैमाइश और सर्वे कराया गया। सर्वे में सेक्टर-A के दक्षिणी हिस्से में वह जमीन उपयुक्त पाई गई। यह क्षेत्र 60 मीटर और 30 मीटर चौड़ी सड़कों से घिरा है और इसमें मछली मंडी की भूमि भी शामिल है।
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