लखनऊ के कृष्णानगर स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल में सोमवार सुबह एक मरीज की मौत हो गई। उसके बाद उसके कर्मी मरीज के शव को एम्बुलेंस से सरकारी अस्पताल की इमरजेंसी में स्ट्रेचर पर रखकर चुपचाप चले गए। वहां लाश कई घंटे तक लावारिस पड़ी रही। स्ट्रेचर के पास कोई नहीं जा रहा था और मरीज में कोई हरकत नहीं हो रही थी तो इसे लोगों ने डॉक्टरों से बताया। डॉक्टरों ने अस्पताल प्रशासन तक बात पहुंचाई। वहां से पुलिस को इसकी सूचना दी गई, जिसके बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। सीएमओ ऑफिस की ओर से मंगलवार को लोकबंधु अस्पताल को पत्र देकर सीसीटीवी फुटेज मांगा गया है। सीएमओ का कहना है कि मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। निजी अस्पताल पर लगे आरोप सही मिले तो कार्रवाई होगी। ये था पूरा मामला सरोजनीनगर के रहने वाले 37 साल के कर्मवीर सिंह सोमवार सुबह काम पर जाने के लिए घर से निकले, मगर रास्ते में उनकी तबीयत खराब हो गई। इस पर वह खुद ही इलाज के लिए सुबह करीब 8 बजे SKD अस्पताल पहुंच गए थे, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई, लेकिन निजी अस्पताल ने परिजनों को इसकी जानकारी देने के बजाय मौत को छिपाने की कोशिश की। शव को एम्बुलेंस से लोकबंधु अस्पताल पहुंचा दिया। 2 तस्वीरें देखिए… काफी समय तक स्ट्रेचर पर पड़ा रहा शव लोकबंधु अस्पताल की इमरजेंसी में डॉक्टरों और स्टाफ ने जब काफी समय तक स्ट्रेचर पर शव पड़ा देखा तो अस्पताल प्रशासन को सूचना दी। इसके बाद सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, जिनमें निजी अस्पताल के दो कर्मचारी यूनिफॉर्म में स्ट्रेचर पर शव लाते और इमरजेंसी के बाहर छोड़कर भागते हुए दिखे। शव कई घंटों तक वहीं लावारिस पड़ा रहा। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने शव की पड़ताल की, मृतक की जेब से मोबाइल फोन और आधार कार्ड मिला, जिससे उनकी पहचान हुई। पुलिस ने परिजनों को सूचना दी। पुलिस ने परिजन को दी जानकारी कर्मवीर के परिवार में पत्नी अंजू, बेटा युवराज और बेटी प्रज्ञा है। परिजन ने निजी अस्पताल पर गंभीर लापरवाही और शव छिपाकर भेजने का आरोप लगाया है। इस संबंध में निजी अस्पताल से कई बार प्रयास के बाद भी संपर्क नहीं हो सका। लोकबंधु अस्पताल ने एम्बुलेंस के नंबर के आधार पर उसे ट्रैस किया। पत्नी बोली- घर पर सिर्फ बुजुर्ग मां मृतक की पत्नी अंजू ने बताया- 12 साल का बेटा है और एक 9 साल की बेटी है। कर्मवीर सिंह श्रीराम फाइनेंस में काम करते थे। साल 2010 में उनकी शादी हुई थी। वो खुद प्राइवेट स्कूल में काम करती हैं। सुबह वो स्कूल निकल जाती थीं। सोमवार को भी ऐसा ही हुआ। सुबह दोनों बच्चे और वो खुद स्कूल निकल गईं। पौने 8 बजे से करीब पति ऑफिस जाने के लिए निकले थे। पर अचानक कैसे क्या हुआ, कि वो SKD हॉस्पिटल पहुंचे, ये उन्हें खुद समझ नहीं आ रहा। घर पर सिर्फ बुजुर्ग माता जी हैं। पति को कोई बीमारी नहीं थी अंजू का कहना है कि उनके पति को कोई बीमारी नहीं थी। कोई विशेष समस्या भी नहीं थी। घर से निकलने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ी होगी, तभी वो SKD हॉस्पिटल गए होंगे। पर पता नहीं ये प्राइवेट हॉस्पिटल वाले कैसे है जो किसी इंसान की जान की कीमत नहीं समझते। लोग यहां जानवरों की जान बचाने के लिए क्या कुछ नहीं करते, पर एक इंसान अस्पताल में दम तोड़ देता है और उसे एम्बुलेंस से सरकारी अस्पताल छोड़ आया जाता है। ऐसे अस्पतालों के खिलाफ जरूर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने निजी अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की बात कही। निजी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई हो मंजू ने बताया- योगी के राज में कहा जाता है कि कानून व्यवस्था बहुत सख्त है। कोई गलत काम नहीं कर सकता पर निजी अस्पताल ने जो किया। उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। इस बीच सोमवार को पोस्टमॉर्टम के बाद मंगलवार को मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया गया। हालांकि, पुलिस का कहना है कि अभी पीड़ित पक्ष की तरफ से कोई शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलते ही जांच के आधार पर कार्रवाई होगी। CMO ने बैठाई जांच, SKD को नोटिस जारी SKD हॉस्पिटल में मरीज की मौत के बाद शव लोकबंधु अस्पताल में फेंकने मामले की जांच शुरू हो गई है। सीएमओ ऑफिस की ओर से मंगलवार को लोकबंधु अस्पताल को पत्र देकर सीसीटीवी फुटेज मांगा है। सीएमओ का कहना है कि मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। निजी अस्पताल पर लगे आरोप सही मिले तो कार्रवाई होगी। मंगलवार को सीएमओ ने मामले की जांच नर्सिंग होम के नोडल डॉ.एपी सिंह को सौंपी है। जिनके जरिए लोकबंधु अस्पताल से फुटेज मांगी गई है। वहीं, SKD हॉस्पिटल को नोटिस जारी की गई है।
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