लखनऊ के गोमती नगर विस्तार में पूर्व IPS अफसर कश्मीरा सिंह से जुड़े जमीन के विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अहम आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि जब तक राजस्व बोर्ड इस मामले में अंतिम फैसला नहीं कर देता तब तक विवादित जमीन पर यथास्थिति बनी रहेगी। किसी तरह का निर्माण या ध्वस्तीकरण नहीं किया जाएगा। इस आदेश से लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की उस योजना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है, जिसके तहत वह इस जमीन पर संग्रहालय (म्यूजियम) का निर्माण करा रहा था। क्या है पूरा मामला? ग्राम अर्दौनामऊ स्थित खसरा संख्या 315 M की जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। प्रशासन ने इस जमीन से एंटीलिया ऑर्गेनिक्स प्राइवेट लिमिटेड का नाम हटाकर इसे राज्य सरकार के नाम दर्ज कर दिया था। कंपनी की अपील खारिज होने के बाद मामला अब राजस्व बोर्ड में पुनरीक्षण के रूप में लंबित है। कंपनी का दावा है कि यही जमीन उसकी है। एलडीए का कहना है कि करीब 35,000 वर्गमीटर भूमि उसकी अधिगृहीत जमीन का हिस्सा है, जिसे अमर शहीद पथ गोमती नगर विस्तार योजना के तहत अधिगृहीत किया गया था। संग्रहालय निर्माण और बुलडोजर कार्रवाई एलडीए इस जमीन पर एक संग्रहालय का निर्माण करा रहा था। इसी दौरान प्राधिकरण ने अवैध कब्जा बताते हुए बुलडोजर चलाकर बाउंड्रीवॉल, गार्ड रूम समेत अन्य निर्माण ढहा दिए और जमीन को मुक्त कराने का दावा किया। एलडीए के अनुसार, यह कब्जा एंटीलिया ऑर्गेनिक्स प्रा. लि. और उससे जुड़े लोगों द्वारा किया गया था, जिनका संबंध पूर्व IPS अफसर कश्मीरा सिंह से बताया जा रहा है। कंपनी ने हाईकोर्ट में कहा कि जब जमीन का मामला राजस्व बोर्ड में लंबित है, तब एलडीए द्वारा संग्रहालय का निर्माण कराना और ध्वस्तीकरण करना कानूनन गलत है। इससे जमीन का स्वरूप बदला जा रहा है। कंपनी ने यह भी दलील दी कि इसी जमीन से जुड़े एक अन्य प्रकरण में राजस्व बोर्ड पहले ही यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे चुका है। हाईकोर्ट का आदेश हाईकोर्ट ने कंपनी को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि कंपनी एक सप्ताह में राजस्व बोर्ड में अंतरिम राहत की नई अर्जी दाखिल करेगी। राजस्व बोर्ड एक सप्ताह के भीतर उस पर फैसला करेगा। तब तक विवादित जमीन पर कोई निर्माण, ध्वस्तीकरण या परिवर्तन नहीं होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जैसे ही राजस्व बोर्ड का आदेश आएगा तो हाईकोर्ट से मिली राहत स्वतः समाप्त हो जाएगी। अब राजस्व बोर्ड के फैसले पर नजर पूर्व IPS अफसर का नाम, 200 करोड़ रुपए की जमीन, बुलडोजर कार्रवाई और अब संग्रहालय परियोजना पर रोक इन सबके चलते यह मामला प्रशासनिक और कानूनी हलकों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। अब राजस्व बोर्ड का फैसला ही तय करेगा कि जमीन किसकी है और संग्रहालय परियोजना आगे बढ़ेगी या नहीं।
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