उत्तर प्रदेश के शहरों के विकास को लेकर पहली महत्वपूर्ण बैठक लखनऊ में आयोजित की गई। इसमें सरकार के प्रतिनिधि, शिक्षा विशेषज्ञ, समाज प्रतिनिधि और नीति निर्धारक शामिल हुए। इस बैठक का आयोजन जनाग्रह द्वारा किया गया था। चर्चा का मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती आबादी की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रभावी कदम तय करना था। अनुमान है कि वर्ष 2036 तक यूपी के शहरों की आबादी लगभग 6.7 करोड़ तक पहुँच सकती है। यह संरचित बैठक दो सत्रों में सम्पन्न हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने शहरी समस्याओं और उनके व्यावहारिक समाधानों पर विचार किया। शहरी आपदा प्रबंधन इकाइयां स्थापित की जाएंगी बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी। इनमें स्थानीय सरकारों को अधिक शक्तियाँ देना, शहरी नियोजन में सुधार, डेटा आधारित निर्णय प्रणाली अपनाना और वायु प्रदूषण व पर्यावरण संबंधी समस्याओं का समाधान शामिल हैं। एस.पी. पटेल, स्पेशल सेक्रेटरी, अर्बन डेवलपमेंट विभाग, ने बताया कि 2025 की आपदा प्रबंधन नीति स्थानीय शहरी सरकारों की भूमिका को मजबूत करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि बड़े नगरों में विशेष शहरी आपदा प्रबंधन इकाइयां स्थापित की जाएंगी। शहरी विकास की योजना बनाने पर चर्चा धनश्री गुरन, शेल्टर एसोसिएट्स, ने एक एकीकृत शहरी डेटा प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की पुष्पा पाठक ने स्थानीय सरकारों के लिए अलग कार्य सूची बनाने का सुझाव दिया।रेसगॉव की प्रीतिका मल्होत्रा ने छोटे शहरों को नई जिम्मेदारियों के लिए तैयार करने वाली नीति की आवश्यकता पर बल दिया। जनाग्रह के सजिथ सुकुमारन ने सरकार, शिक्षा और समाज के सहयोग से शहरी विकास की योजना बनाने की बात कही। यह बैठक जनाग्रह के SUTRA मॉडल के तहत हुई, जिसका लक्ष्य पूरे राज्य में शहरी विकास में सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है। SUTRA मॉडल के माध्यम से शहरों की योजनाएँ सामूहिक रूप से तैयार करने और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। यह बैठक उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों की चुनौतियों और संभावनाओं को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर रही।
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