लखनऊ सीतापुर रोड योजना कॉलोनी स्थित श्रीरामलीला पार्क में गुरुवार को विश्वनाथ मंदिर के 34वें स्थापना दिवस पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा और रासलीला का भव्य समापन हुआ। इस अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार, भजनों और प्रभु स्मरण की ध्वनियों से पूरा वातावरण गूँज उठा। कार्यक्रम में भक्तों ने “हरि की कथा सुनाने वाले तुमको लाखों प्रणाम…” और “तेरा सुंदर रूप सलोना…” जैसे भजनों पर जमकर नृत्य किया। हवन और पूर्णाहुति के बाद भक्तों ने आरती की। देर रात तक चले भंडारे में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। भक्तों ने उत्साह के साथ फूलों की होली खेली दिव्य मंच पर राधा-कृष्ण की अलौकिक झांकी ने भक्तों को भावविभोर कर दिया। भक्तों ने पारंपरिक उत्साह के साथ फूलों की होली खेली, जिसे कार्यक्रम का एक यादगार हिस्सा बताया गया। भगवान श्रीकृष्ण ने भी भक्तों पर पुष्पवर्षा कर आशीर्वाद प्रदान किया।कार्यक्रम स्थल “राधे-राधे” और “कृष्ण कन्हैया लाल की जय” के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान भक्ति, संगीत और रंगों का एक अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद से भर दिया। सनातन धर्म समस्त विश्व के कल्याण की इच्छा कथाव्यास आचार्य पं. गोविंद मिश्रा ने सनातन धर्म के मूल सूत्र ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः’ का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल अपने सुख या कल्याण की कामना नहीं, बल्कि समस्त विश्व के कल्याण की इच्छा करना है। इसी परंपरा में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की अवधारणा जन्म लेती है, जो संपूर्ण जगत को एक परिवार मानती है। आचार्य पं. गोविंद मिश्रा ने सुदामा चरित्र और श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन का वर्णन करते हुए कहा कि सादगी, त्याग और मित्रता का आदर्श आज भी समाज के लिए मार्गदर्शक है। पूरे दिन मंच पर प्रस्तुत भजनों और कथाओं ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण रखा।
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