लखनऊ के बौद्ध शोध संस्थान में सुबोधानंद फाउंडेशन की शाखा द्वारा आयोजित तीन दिवसीय गीता ज्ञान यज्ञ का समापन हो गया। इस अवसर पर स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को गीता के उपदेशों से अवगत कराया। स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि ईश्वर के साथ अनुभूति का संबंध ही सच्ची भक्ति है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भक्ति केवल नाम, मंत्र या पूजा-पद्धतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि परमात्मा के स्वरूप का चिंतन करना ही वास्तविक साधना है। महाराज ने साधना के चयन में स्वभाव, रुचि और संस्कार के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि व्यक्ति को वही मार्ग अपनाना चाहिए जिसमें उसका मन और चेतना पूर्ण रूप से अभिव्यक्त हो सके। स्वामी ध्रुव चैतन्य महाराज ने भक्तों को प्रेरित किया इस तीन दिवसीय यज्ञ के दौरान गीता के श्लोकों का गहन विश्लेषण, ध्यान सत्र और भक्ति गीतों का आयोजन किया गया। स्वामी महाराज ने भक्तों को प्रेरित किया कि भक्ति केवल शब्दों या कर्मों तक सीमित न रहकर उसे अनुभव करना और जीवन में उतारना आवश्यक है।कार्यक्रम में स्थानीय समाजसेवी, विद्यार्थी और साधक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। यज्ञ का समापन सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक जागरूकता के वातावरण में हुआ।
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