लखनऊ के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, गोमती नगर में आज ‘श्रद्धा मानव सेवा कल्याण समिति’ ने नाटक ‘छोड़ो कल की बातें’ का मंचन किया। यह प्रस्तुति भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, नई दिल्ली के 2025-26 के रिपेट्री ग्रांट की पहली कड़ी थी। सुप्रसिद्ध नाट्य निर्देशक अनुपम बिसारिया ने इसका निर्देशन किया। नाटक के मंचन से पहले वरिष्ठ नाट्य निर्देशक प्रभात कुमार बोस के मार्गदर्शन में 60 दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई थी। कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। मुख्य अतिथि ने संयुक्त परिवारों में सम्मान और परस्पर व्यवहार पर अपने विचार साझा किए। नाटक का कथानक भौतिकता के दौर में कम होती मानवीय संवेदनाओं, वृद्धाश्रमों और विधवाश्रमों में वृद्धों की विवशताओं को दर्शाता है। अपना घर’ नामक वृद्धाश्रम में रहने वाले ये पात्र अपने दुखों को बांटकर भावनाओं को हल्का करते हैं. नाटक में घनश्याम, जगमोहन और महावीर नामक पात्र अपने जीवन के उतार-चढ़ाव और सुख-दुख साझा करते हैं। ‘अपना घर’ नामक वृद्धाश्रम में रहने वाले ये पात्र अपने दुखों को बांटकर भावनाओं को हल्का करते हैं। राजेश मिश्रा (घनश्याम), अश्वनी मक्खन (जगमोहन), अनुपम बिसारिया (महावीर), ओम प्रकाश श्रीवास्तव (टप्पू) और अनीता वर्मा (उमा) सहित अन्य कलाकारों ने अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया। नाटक ने रंगमंच और दर्शकों को भावनाओं से बांध दिया नाटक का सेट डिज़ाइन जामिया शकील ने किया था, जिसका निर्माण शिवरतन ने किया। देवाशीष मिश्रा ने प्रकाश परिकल्पना संभाली, जबकि आदर्श तिवारी ने संगीत संचालन किया। अंशिका क्रिएशन ने मुख-सज्जा और डॉ. शैली श्रीवास्तव ने वेशभूषा तैयार की। आमिर मुख्तार उद्घोषक थे और प्रभात कुमार बोस कार्यशाला निर्देशक रहे। इस मंचित नाटक ने रंगमंच और दर्शकों के बीच एक भावनात्मक सेतु का निर्माण किया, जिसका समापन एक शानदार और संवेदनशील प्रदर्शन के साथ हुआ।
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