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लखनऊ में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न:विकसित भारत 2047 पर हुई चर्चा, कलराज मिश्रा ने 21 लोगों को सम्मानित किया

लखनऊ के गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का राष्ट्रीय अधिवेशन बड़े धूमधाम से आयोजित हुआ। इस अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने में क्षत्रिय समुदाय की भूमिका पर गहन चर्चा करना था। कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 700 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें शिक्षक, व्यवसायी, उद्योगपति, अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। अधिवेशन के दौरान मुख्य अथिति कलराज ने 21 व्यक्तियों को उनके राष्ट्रसेवा और सामाजिक योगदान के लिए ‘राजपूत शिरोमणि सम्मान’ से सम्मानित किया। सम्मानित व्यक्तियों ने समाज के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और राष्ट्रीय एकता में अपनी भूमिका को साझा किया। मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र ने सभागार में उपस्थित लोगों को समाज की रक्षा के लिए संकल्प दिलाया। इस अवसर पर उन्होंने संविधान के मूल कर्तव्यों की याद दिलाई और कहा कि समाज और राष्ट्र की रक्षा प्रत्येक नागरिक का परम कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि आज का युवा केवल अपने हितों तक सीमित न रहे, बल्कि समाज के उत्थान और राष्ट्रीय एकता में सक्रिय योगदान दे। हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहकर देश को विकसित और सशक्त बनाने में भाग लेना होगा। क्षत्रिय समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह अपने मूल्यों और परंपराओं के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाए। उन्होंने शिक्षा, अनुशासन और सेवा भावना को युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन बताया। सभी से अपील की कि समाज में आपसी भाईचारा और सहयोग की भावना बनाए रखें और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि मानें। इस मौके पर भाजपा के राज्य परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि भाजपा की सरकार में देश मजबूत हुआ है। आज के सम्मेलन के मुख्य अतिथि कलराज मिश्र थे। उन्होंने बताया कि क्षत्रिय वही है जिसके छह लक्षण हैं: ब्राह्मण का सम्मान करना, गाय का सम्मान करना, नारी का सम्मान करना, कर्ज से डरना, धन का सही प्रयोग करना, और रण में वीरता दिखाना। आज के सम्मेलन का उद्देश्य यही था कि क्षत्रियों को संगठित करके समाज का विकास कैसे किया जाए। उन्होंने महात्मा बुद्ध, जैन के 24 तीर्थंकर और सिख गुरुओं के उदाहरण देते हुए कहा कि क्षत्रियों ने इस देश के लिए हमेशा बलिदान दिया है। महाराणा प्रताप यदि चाहें तो अकबर से समझौता करके राज्य प्राप्त कर सकते थे, लेकिन उन्होंने घास की रोटी खाई और भारत की स्वाभिमानी परंपरा का पालन किया। क्षत्रियों ने सदैव समाज और राष्ट्र के लिए अपने आप को न्योछावर किया। जब भी उनके हाथों में नेतृत्व आया, उन्होंने समाज के लिए अच्छे कार्य किए। कार्यक्रम के आयोजक अमेरिका सिंह ने बताया कि वे 48 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत प्रोफेसर हैं। आयोजन जातिगत नहीं था। क्षत्रिय महासभा का गठन 1857 में महाराजा बलवंत सिंह द्वारा किया गया था। उन्होंने बताया कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों द्वारा कई लोगों को यातनाएं दी गईं। संघर्ष के दौरान इस सभा की स्थापना की गई थी। अमेरिका सिंह ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय ज्ञान और परंपरा को आगे बढ़ाना है। उनका 3000 सदस्यों का समूह एक भारत, श्रेष्ठ भारत, सबका साथ, सबका विकास” के लक्ष्य पर कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि वे पारिवारिक विवादों को ‘आउट ऑफ कोर्ट’ निपटाने का काम भी करते हैं। अधिवेशन में मेजर ध्यानचंद, पवन सिंह चौहान (सदस्य विधान परिषद, लखनऊ), सत्येंद्र कुमार बड़ी (सदस्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उत्तर प्रदेश), अभय नारायण सिंह (राज्य मंत्री, श्रम विभाग, उत्तर प्रदेश), जयप्रकाश निषाद (सदस्य, भारत सरकार), वीरेंद्र कुमार तिवारी (पूर्व राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश) उपस्थित थे।


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