इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कोऑपरेटिव एक्सपो में भीड़ नहीं जुट रही है। इससे स्टॉलों पर सन्नाटा पसरा है। स्टॉल संचालक निराश नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि एक्सपो का सही ढंग से प्रचार-प्रसार न होने के कारण भीड़ नहीं आ रही है। हालांकि, जो लोग आ रहे हैं वह खरीदारी कर रहे हैं। दरअसल, 21 दिसंबर को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 10 दिवसीय कोऑपरेटिव एक्सपो की शुरुआत हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका उद्घाटन किया। यहां प्रदेशभर से सहकारिता पर आधारित 70 स्टॉल लगाए गए हैं। प्रचार की कमी बनी सबसे बड़ी वजह एक्सपो में शामिल विभाग के लोगों और स्टॉल संचालकों ने कहा कि आयोजन का प्रचार-प्रसार जिस स्तर पर होना चाहिए था, वह नहीं किया गया। यही वजह है कि लोगों को इसकी जानकारी नहीं हो पाई। इस वजह से लोग एक्सपो में नहीं आ रहे हैं। फुटफॉल लगातार कम होता जा रहा है। कानपुर से आए स्टॉल संचालक बोले- रिस्पांस ठीक, लेकिन लोग कम कानपुर के एनसीसीएफ की कानपुर ब्रांच से आए अभिषेक चतुर्वेदी ने बताया कि उन्होंने 21 दिसंबर से यहां स्टॉल लगाया हुआ है। जो भी लोग आ रहे हैं, वे उत्पादों को देख रहे हैं। पसंद कर रहे हैं और खरीद भी रहे हैं, लेकिन लोगों की संख्या कम है। लग रहा है कि ठंड और रोजमर्रा की व्यस्तता के कारण कम लोग आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक्सपो में संभावनाएं हैं, लेकिन भीड़ न होने से उसका पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा। ‘भीड़ नहीं, लेकिन जो आ रहा है वह खरीदार है’ सहारनपुर से आए संजय सैनी ने एफपीओ संघर्ष बायो एनर्जी के नाम से स्टॉल लगाया है। उन्होंने कहा कि एक्सपो में भीड़ नहीं आ रही है। हालांकि, जो लोग आ रहे हैं, वे खरीदारी कर रहे हैं। उन्होंने इसे एक्सपो की एक सकारात्मक खासियत बताया। उन्होंने कहा कि यहां सिर्फ घूमने वाली भीड़ नहीं, बल्कि वास्तविक खरीदार पहुंच रहे हैं। प्रयागराज से आई दुकानदार ने प्रचार पर उठाए सवाल प्रयागराज से स्टॉल लगाने आईं सोमलता ने बताया कि यहां भीड़ कम है। उनका कहना है कि इसका सबसे बड़ा कारण प्रचार-प्रसार की कमी है। जिस स्तर का प्रचार होना चाहिए था, वैसा नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि महीने के आखिरी दिनों में लोगों की आर्थिक स्थिति भी खरीदारी को प्रभावित करती है, जिससे फुटफाल और कम हो जाता है। वर्किंग डेज और ठंड ने भी डाला असर एक्सेस एग्रो फार्मा लिमिटेड के कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उनकी स्टॉल पर आयुर्वेदिक उत्पाद हैं। वर्किंग डेज में लोग अपने काम में व्यस्त रहते हैं। इस वजह से एक्सपो तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। बीते दो दिनों में ठंड बढ़ने से भी लोगों की आवाजाही कम हुई है, जिसका सीधा असर बिक्री पर पड़ा है। करोड़ों खर्च के बावजूद आयोजन सफल नहीं करोड़ों रुपए सरकारी खर्च करके 70 से अधिक स्टॉल लगवाए गए हैं। बावजूद इसके कोऑपरेटिव एक्सपो में अपेक्षित भीड़ नहीं जुटी। इससे आयोजन की योजना और प्रचार रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं। स्टॉल संचालकों का मानना है कि यदि प्रचार प्रभावी होता और समय-मौसम को ध्यान में रखकर रणनीति बनाई जाती, तो एक्सपो की तस्वीर कुछ और होती।
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