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‘लखनऊ-कानपुर में बहुत अच्छे-अच्छे एक्टर्स हैं’:एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी बोले- यहां 2 साल रहकर एक्टिंग सीखी, शहर का भाईचारा पसंद

एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी का मानना है कि फिल्म सिटी बनने से लोकल आर्टिस्ट को बहुत काम मिलता है। खासकर लखनऊ, कानपुर में बहुत अच्छे-अच्छे एक्टर्स हैं जो पहले से फिल्मों में काम कर रहे हैं। लखनऊ बहुत ज्यादा शूटिंग फ्रेंडली है। सरकार ने जो कदम उठाया है। उससे न सिर्फ फिल्म मेकर्स बल्कि लोकल आर्टिस्ट को भी बहुत फायदा हुआ है। उम्मीद हैं कि आगे भी हम लोग यहां काम कर सकेंगे। नवाजुद्दीन हाल में अपनी फिल्म ‘राहत अकेली है’ के प्रोमोशन के लिए शहर आए थे। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में फिल्म के साथ-साथ लखनऊ में बिताए अपने दिनों, यूपी सरकार की फिल्म पॉलिसी और शहर के खान-पान को लेकर सवालों के बेबाक जवाब दिए। पढ़िए इंटरव्यू के प्रमुख अंश…। सवाल : आप ने लखनऊ में दो सात बिताए हैं, कैसा अनुभव रहा? जवाब : मेरे लिए यह शहर बहुत खास है। लखनऊ में आकर पहली बार लार्ज ऑडियंस के सामने प्ले किया था। साल 1991 में इसी शहर में पहला मौका मिला था। 2 साल तक यहां रहकर ट्रेनिंग ली। थिएटर किया, बहुत कुछ इस शहर से सीखा है। यहां की BNA , SNA थिएटर अकादमी से बहुत कुछ सीखा है। यहां का खाना, तहजीब, ऐतिहासिक इमारतें भाई चारा सब कुछ पसंद है। लखनऊ देखने में बहुत खूबसूरत लगता है। सवाल : सेक्रेड गेम्स वेब सीरीज का दूसरा पार्ट आएगा ? जवाब : सेक्रेड गेम्स अपने आप में बेहद खास सीरीज थी। अब उसमें जो होना था हो गया, आगे उसका दूसरा पार्ट या और कुछ नहीं आएगा। सवाल : ‘रात अकेली है’ फिल्म में क्या खास होने वाला है ? जवाब : फिल्म में बहुत कमाल के एक्टर्स ने काम किया है। रजत कपूर, राधिका आप्टे, चित्रांगदा। यह सब बेहद कमल के एक्टर हैं। इन लोगों की एक्टिंग ने इसे और भी ज्यादा खास बना दिया है। सेकेंड पार्ट में बहुत कुछ खास है। फिल्म बहुत इंगेजिंग है। एक बार देखना शुरू करेंगे तो छोड़ेंगे नहीं। सवाल : क्या अपने आलोचकों को सीरियसली लेते हैं ? जवाब : समाज में सबका अपना-अपना चीजों को देखने का नजरिया है। हर आदमी अपने तरीके से हमारी फिल्में और हमें देखता है। अगर कोई आलोचना करता है तो ठीक है। कोई बात नहीं। अगर कोई अच्छा आलोचक है, अपने काम में एक्सपर्ट है तो हम उसे गंभीरता से लेते हैं। सवाल : मंटो फिल्म की खूब तारीफ हुई, क्या कहेंगे? जवाब : बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन पर फिल्म बनानी चाहिए। ऐसे सब्जेक्ट पर काम करना चाहते हैं। मगर अभी बता नहीं सकते। मंटो से रिलेटेड हमारी फिल्म ‘रात बाकी है’ का डायलॉग है ‘पता नहीं क्या खोज रहे हैं। सच मिल भी जाए तो किसको पड़ी है।’ मंटो भी ऐसे ही थे जो देखते थे। वही लिखते थे। वही सच होता था। ………………………………… यह खबर भी पढ़ें मॉकड्रिल- लखनऊ में ट्रेनें टकराईं, बोगियों में आग: बचाओ-बचाओ चिल्लाने लगे यात्री; NDRF ने रेस्क्यू किया, ड्रिल से डिब्बे काटे लखनऊ के आलमबाग में दो ट्रेनों में भीषण टक्कर हो गई। कुछ बोगियों में आग भी लग गई। ट्रेनों में बैठे यात्री बचाओ-बचाओ चिल्लाने लगे। सूचना मिलते ही मौके पर तत्काल RPF, GRP और NDRF के जवान पहुंच गए। जवानों ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। यहां पढ़ें पूरी खबर


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