चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पिछले 5 दिनों में 150 से ज्यादा फ्लाइट रद्द हो गईं। 5 दिसंबर से शुरू हुई उड़ानों की कैंसिल होने की समस्या धीरे-धीरे इतनी बढ़ी कि 9 दिसंबर तक स्थिति एक तरह के ऑपरेशनल क्रैश में बदल गई। इसका सबसे बड़ा बोझ यात्रियों पर पड़ा। किसी ने रातभर एयरपोर्ट पर बैठकर झेला, किसी ने अचानक बढ़ा किराया चुकाकर और किसी ने अपनी जरूरी यात्राएं टालकर। कई यात्रियों के टिकट कैंसिल हुए, और उन्हें दूसरे विकल्प तलाशने पड़े, जिनमें किराया कई गुना ज्यादा था। किन तारीखों में कितनी उड़ानें रद्द हुईं अगर तारीखों के हिसाब से देखें तो पता चलता है कि हालात इंडिगो का फैलियर आम जनता पर कितना भारी पड़ रहा है। एयरपोर्ट के आंकड़ों के हिसाब से… कुल मिलाकर 150 से ज्यादा फ्लाइटें सिर्फ पांच दिनों में रद्द हुईं। जो कि लखनऊ जैसे शहर के लिए यह बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि यहां एयरपोर्ट पर हर दिन करीब 80–90 उड़ानें आती-जाती हैं। ऐसे में 150 उड़ानों का रद्द होना मतलब है कि लगातार हर दिन करीब एक-तिहाई उड़ानें नहीं संचालित की गईं। एयरपोर्ट पर लोग परेशान , इंडिगो के काउंटर पर भीड़ इन दिनों एयरपोर्ट की स्थिति किसी बस स्टेशन से कम नहीं दिखी। हर तरफ सिर्फ यात्री और उनकी बेबसी थी। रि-बुकिंग काउंटरों पर लंबी लाइनें , कैफेटेरिया और बैठने की जगह तक फुल और ऐन वक्त पर मैसेज की “फ्लाइट कैंसिल”। ज्यादातर लोगों ने अपने प्लान को कैंसिल करके रोड ट्रैवल का रास्ता चुना। यात्री श्याम ने बताया, “हम सुबह 6 बजे पहुंचे थे, और शाम 5 बजे पता चला कि फ्लाइट कैंसिल है। अब तो हम थक चुके हैं।” वही इंडिगो की टिकट काउंटर पर अपनी टिकट रीशेड्यूल कराने पहुंचे बंगलौर के यात्री ने कहा कि , “किसी ने बताया ही नहीं कि उड़ान कैंसिल है। हम बार-बार पूछते रहे, पर स्टाफ के पास कोई जानकारी नहीं थी।” लखनऊ में एक ही दिन में 1500 टिकट कैंसिल 6 और 7 दिसंबर का रिकॉर्ड सबसे खराब रहा। इन दो दिनों में एयरपोर्ट पर कैंसिल टिकटों की बाढ़ सी आ गई। एक ही दिन में लगभग 1500 से ज्यादा टिकट कैंसिल हुए। यह आंकड़ा बेहद बड़ा है, क्योंकि सामान्य दिनों में एयरपोर्ट पर इतने कैंसिलेशन कई हफ्तों में भी नहीं होते। इस दौरान कई ने रेलवे स्टेशन की तरफ रुख किया। कई ने बसें पकड़ी, कुछ को ट्रैवल एजेंटों से तात्कालिक टिकट लेने पड़े तो वहीं कई यात्रियों को 30–40 घंटे तक रोड ट्रिप करनी पड़ी। इंडिगो ने अब तक 827 करोड़ का रिफंड दिया इंडिगो के ऑपरेशनल संकट का असर सिर्फ लखनऊ पर नहीं पड़ा, बल्कि पूरे देश में देखने को मिला। लाखों पीएनआर कैंसिल हुए और एयरलाइन को बड़ी मात्रा में रिफंड जारी करना पड़ा। रिफंड का आधिकारिक आंकड़ा अगर देखे तो, 1 से 7 दिसंबर को 5.86 लाख पीएनआर कैंसिल हुए और 569.65 करोड़ रुपए रिफंड किए गए। 21 नवंबर से 7 दिसंबर तक के बीच में 9.55 लाख पीएनआर कैंसिल होने के साथ ही 827 करोड़ रिफंड किए गए। रिफंड की राशि का लगातार अपडेट होना भी बताता है कि कैंसिलेशन का सिलसिला रुक नहीं रहा था। 2 घंटे की उड़ान के 50,000 रुपए तक इंडिगो की उड़ानें रद्द होने के बाद यात्रियों का रुख दूसरी एयरलाइनों की तरफ हुआ, और वहीं से असली परेशानी शुरू हुई। जैसे-जैसे मांग बढ़ी, दूसरी एयरलाइनों ( एयर इंडिया एक्सप्रेस , आकासा, स्पाइसजेट, विस्तारा) ने किराया बढ़ाना शुरू कर दिया। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई जैसे रूटों पर टिकटों का किराया 40,000 से 55,000 रुपए तक पहुंच गया। इतना ही नहीं ट्रैवल एजेंटों ने “इमरजेंसी बुकिंग चार्ज” जोड़कर किराया और बढ़ा दिया। जिन टिकटों का सामान्य किराया 6,000 से 9,000 रुपए तक होता था, वे 4–5 गुना तक महंगे हो गए। लखनऊ के सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश कुमार ने बताया कि , “मै मुंबई जाने वाला था, इंडिगो की फ्लाइट कैंसिल हो गई। दूसरी फ्लाइट देखी तो 52,000 दिखाया। मजाक है क्या?” कैब में भी 30–50% अधिक किराया वसूला गया सिर्फ फ्लाइटों में ही नहीं, एयरपोर्ट से बाहर निकलने वाली कैब सेवाओं ने भी खूब फायदा उठाया। टैक्सियों ने 30–50% तक किराया बढ़ा दिया, कुछ कैब ऐप्स पर भारी सर्ज प्राइस दिखा।लंबी दूरी के लिए 2,500 से 4,500 का किराया बढ़कर 6,000–7,000 तक गया । अचानक खर्च बढ़ने से यात्रियों का बजट पूरी तरह बिगड़ गया।
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