सीतापुर में लकड़ी माफिया और वन विभाग के कुछ कर्मियों के कथित गठजोड़ का सनसनीखेज मामला सामने आया है। रात के अंधेरे और घने कोहरे का फायदा उठाकर खैराबाद थाना क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बिना परमिट प्रतिबंधित हरे पेड़ों की कटान की जा रही थी। अवैध रूप से काटी गई लकड़ी को ट्रालियों में भरकर ले जाया जा रहा था, तभी एआरटीओ कार्रवाई में यह मामला उजागर हो गया। जानकारी के अनुसार एआरटीओ (प्रवर्तन) सर्वेश चतुर्वेदी ने गुरुवार देर रात चेकिंग के दौरान अवैध लकड़ी से भरी दो ट्रालियों को पकड़ा। जब ट्रालियों के दस्तावेजों की जांच की गई तो चालक कोई वैध परमिट या कागजात नहीं दिखा सके। इसके बाद एआरटीओ ने ट्रालियों को जब्त करने की कार्रवाई शुरू की। इसी दौरान कुछ वनकर्मी मौके पर पहुंच गए और ट्रालियों को छुड़ाने का प्रयास करने लगे। बताया जा रहा है कि वन विभाग के कर्मचारियों ने एआरटीओ पर दबाव बनाते हुए उच्च अधिकारियों से बात कराने की कोशिश की और ट्रालियों को छोड़ने का आग्रह किया। यही नहीं, एक ठेकेदार फर्जी वन दरोगा बनकर मौके पर पहुंचा और खुद को विभागीय अधिकारी बताने लगा। एआरटीओ को जब उस व्यक्ति पर संदेह हुआ और उससे पहचान पत्र मांगा गया, तो वह मौके से भाग खड़ा हुआ। इस घटना के बाद पूरे मामले ने और तूल पकड़ लिया। एआरटीओ सर्वेश चतुर्वेदी ने बताया कि दोनों वन विभाग और लकड़ी माफिया संभवतः कथित रूप से मिले हुए जिसके चलते रात ने अंधेरे में ट्रालियां ओवरलोड फर्राटा भर रही है। उन्होंने कार्रवाई करते हुए दोनों ट्रालियों को सीज कर दिया और 50 हजार रुपए से अधिक का चालान किया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अवैध कटान और परिवहन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस कार्रवाई के बाद लकड़ी माफियाओं में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं मामले के उजागर होने के बाद वन विभाग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि वन विभाग के खैराबाद रेंजर अमित ने बताया कि रात में बन विभाग की टीम भी कार्रवाई करती है।
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