बदायूं की ‘वाटर वूमन’ शिप्रा पाठक लंदन से बुधवार को भारत लौटीं। उनकी पुस्तक ‘महाकुंभ’ के अंग्रेजी संस्करण का विमोचन लंदन में हुआ था। बुधवार को दिल्ली हवाई अड्डे पर परिजनों और सनातन प्रेमियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। अपनी 45 दिवसीय विदेश यात्रा के दौरान, शिप्रा पाठक ने लंदन में ‘महाकुंभ’ के अंग्रेजी संस्करण का लोकार्पण किया। इस पुस्तक में उन्होंने कुंभ की दिव्यता, पंचतत्व संस्था की गतिविधियों और पर्यावरण संरक्षण के संदेशों को विस्तार से समझाया है। शुरुआत में वे केवल 250 प्रतियां लेकर गई थीं, लेकिन वहां हजारों प्रतियों की मांग के बाद और पुस्तकों की आपूर्ति का अनुरोध किया गया है। लंदन के दोनों सदनों में अपने हिंदी संबोधन में शिप्रा पाठक ने कहा, “मैं भारत से हूं, जहां नदियों का पूजन किया जाता है। गंगा, नर्मदा और गोमती के किनारे रहने वाले लोग स्वयं को सौभाग्यशाली समझते हैं।” उन्होंने थामस नदी की ऊर्जा और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के गौरव से जोड़ते हुए भारतीय नदियों के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला। लंदन प्रवास के दौरान, शिप्रा पाठक को बेरो ऑफ हाईरो और बाथ सिटी के मेयरों ने विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। बाथ सिटी के मेयर के साथ उन्होंने एक ओक का पौधा लगाया और स्थानीय लोगों को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई। शिप्रा पाठक ने अपने संबोधन में कहा कि आज का नया भारत दुनिया को एक नई दृष्टि से दिखाई दे रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुरक्षा, संपन्नता और संस्कृति—तीनों मोर्चों पर भारत अपनी विशिष्ट पहचान बना रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि पंचतत्व संस्था के निमंत्रण पर लंदन का 100 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आने वाले महीनों में भारत का दौरा करेगा। यह प्रतिनिधिमंडल अयोध्या राम मंदिर, प्रयागराज, नर्मदा नदी और गोमती नदी के दर्शन करेगा।
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