रेवाड़ी से रेजांगला के तीन हीरों को उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 10-10 लाख रुपये व मेडल देकर सम्मानित किया। सम्मनित होने वालों में गांव चिमनावास निवासी सेना मेडल निहाल सिंह यादव, मोहनपुर निवासी रेडिया ऑपरेटर रामचंद्र यादव शामिल है। रेजांगला में भारतीय 120 जवानों ने भारत-चीन के बीच 1962 के युद्ध में अपनी जान जोखिम में डालकर चाइनिंज सेना को पीछे जाने पर विवश कर दिया था। चुशूल सेंटर में थी पोस्टिंग
‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ के नारे के बीच, चीन की नजर भारत की चुशूल सेक्टर में रेजांगला पोस्ट पर थी। भारतीय सेना के पास सीमित संसाधन थे और उन्हें मुश्किल हालात में इस पोस्ट की रक्षा करनी थी।भारतीय सेना की चुशूल सेक्टर की रेजांगला पोस्ट पर तैनात थे।
मेजर शैतान सिंह ने की थी अगुवाई
1962 के भारत-चीन युद्ध की रेजांगला की ऐतिहासिक लड़ाई जो मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में 13वीं कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी के 120 अहीर जवानों की वीरता की कहानी है, जिन्होंने माइनस 24 डिग्री तापमान और भारी चीनी सेना के सामने अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए अविश्वसनीय बलिदान दिया और दुश्मन को खदेड़ दिया। 120 जवानों के साहस, देशभक्ति और अदम्य जज्बे को दिखाती है, जो देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर देते हैं। मेजर शैतान सिंह भाटी, जो अहीर समुदाय के जवानों से बनी चार्ली कंपनी का नेतृत्व कर रहे थे, जिनके साथ सिर्फ 120 सैनिक थे। तीन हजार से अधिक थे चीनी सैनिक
रेजांगला में युद्ध के दौरान चीनी सैनिकों की संख्या तीन हजार से अधिक थी। जिन्हें रेजांगला में केवल 120 सैनिकों ने पीछे धक्केलने के लिए विवश कर दिया था। अत्याधिक ठंड और भारी गोलाबारी खराब मौसम और कम संसाधनों के बावजूद भारतीय सैनिकों ने न केवल चीनी सैनिकों को रोका, बल्कि पीछे जाने पर भी मजबूर कर दिया था। अत्याधिक ठंड और भारी गोलाबारी के बीच, ये 120 जवान अपनी जान की परवाह किए बिना लड़ते हैं, दुश्मन को रोकते हैं और उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर देते हैं। डॉ विराट को मिला था संदेश उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव ने अपने रिश्तेदार डॉ विराट के पास मैसेज भेजा। अखिलेश का मैसेज मिलने के बाद डॉ. विराट ने रेजांगला के वीरों से संपर्क किया और अपने साथ लेकर उत्तर प्रदेश पहुंचे।
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